Tuesday, December 25, 2018

इरादे को बदलकर देखो. (मु )


इरादों को  मकसद बनाकर देखो 

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सादर प्रणाम।

विचारों को अपने मूल उद्देश्य बनाकर देखो ,
असीम आनंद का शिकार बन जाओगे।
उद्देश्य तक पहुँचने तक
बीच के माया मोह इरादों को बदल देगा।
मूल उद्देश्य /मकसद के बीच
उप लक्ष्य  मूल उद्देश्य  का बाधा बन जाएगा।
मोहिनी आएगी /सूर्पनखा आएगी /ऊर्वशी -रम्भा आएगी।
यू ट्यूब के नज़ारे आएँगे ,
पड़ोसी -पड़ोसिन  के जवान बेटा / बेटी
खिडकी खोल चुंबक बनेगा /बनेगी।
पद ,धन  का लोभ चमकेगा।
हमारे  मूल उद्देश्य के मार्ग  पर आँधी  ,
गर्मी ,सर्दी, पतझड़ वर्षा बेवक्त बेखबर
अड़चनें बन रोकेंगे।
सामना करना ही होगा।
इसमें कामयाबी मिलेगी क्या सबको
जिनको मिलती उसके सर पर मणी होती।
शूल पर चढ़ा ,उद्देश्य न छोड़ा ,पूजनीय बना.
पत्थर का मार सहा ,बचने भागा ,पैगम्बर बना।
कोमल कुसुम प्यार पत्नी -मासूम शिशु -राजमहल का सुख-वैभव तजा
एशिया की ज्योति महात्मा बुद्ध बना.
सोचो ,समझो ,विचारो
इरादे को मकसद बनाने में
केवल आगे देखना है ,
हरे भाई ,
ज़रा  देखते चलो ,
ऊपर भी नहीं,नीचे भी ,
दाए भी नहीं बाएँ  भी ,
यह गाना लागू नहीं ,
उद्देश्य /मकसद के शिखर पर
चमकते  भाग्यवानों को।
बीच  में    मधुशाला ,मधुबाला अपना रंग दिखाएगी।
इरादे का मकसद मात्र ले चलना ,
सफलता की चोटी  पर
खुद खड़े हो जाओगे।
बीच के ताल -तलैया ,
उद्यान नंदन वन  कुछ न देखना
यह अनंत अपने अनुभव से कह रहा है
दुनिया के अज़ब  बाज़ार पर नज़र न डालना।
सिर्फ आगे बढ़ना ,
मुड़कर कभी न देखना।
इरादे अपने आप मकसद बन
विश्व वन्द्य बना देगा।
कितने लालची मार्ग छोड़
बाए हटे ,पीछे हटे ,फिसले गए पड़े.
वह फौलाद औलाद  आगे बड़ा ,
मकसद के एवेरेस्ट पर झंडा फैलाया।

स्वचिंतक स्वरचित -यस. अनंतकृष्णन

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