आण्डाल कृत तिरुप्पावै -१३.
आंडाल दक्षिण की मीरा।
मार्गशीर्षः महीने की सर्दी में
अपनी सखी को जगाने ,
विष्णु भगवान के यशोगान करने
तड़के उठकर
अपनी सखियों सहित
नहाने जाती हैं।
सोनेवाली सखियों को जगाने के लिए
ये गीत गाती हैं।
आज के गीत में
गोपियाँ कृष्ण को ही चाहती हैं ,
पर आज विवाद शुरू हो गया --
श्री कृष्ण बड़े हैं या राम ?
*****
आइये !१३ वां गीत के भाव पर ध्यान देंगी :-
मनको मधुर श्री कृष्ण है या राम
सुनिए !आण्डाल का विवाद :-
कृष्ण के पक्ष में एक दल :-
देखो! बगुले के आकार के
बगुलासुर के मुख फोड़कर
श्री कृष्ण ने वध किया है.
राम के पक्ष में गाया --
दुष्ट राक्षस रावण के सर को
घास की तरह उखाड़ फेंका है राम ।
इनके बीच एक सखी सोती हुई सखी को
जगाने अंदर गयी , और कहा , जागो !चन्द्रास्त होकर सूर्योदय के पहले ही कुछ सखियाँ उठकर व्रत रखने चली गयीं।
तब सोती सखी ने विवाद किया कि इनको कैसे मालूम ----
गुरु ,शुक्र ग्रहों का अस्त होना ?
तब सखी ने कहा -
क्या तुम्हें पक्षियों का कलरव्
सुनायी नहीं पड़ा?
फिर उसको छूकर जगाने अंदर जाती है।
सखी इसके आते देख
और गहरी नींद का अभिनय करती हैं.
सखी उसको जगाती हुयी कहती हैं -
सखी !उठो!
अभी सूर्य नहीं निकला ;
शीतल पानी में नहाना आनंद प्रद है।
यही सुसमय है!
तेरी नींद का अभिनय छोडो।
यह तो नींद चोरी नींद। जागो !
जगन्नाथ के यशोगान में
सखियों सहित लग जाओ।
आंडाल दक्षिण की मीरा।
मार्गशीर्षः महीने की सर्दी में
अपनी सखी को जगाने ,
विष्णु भगवान के यशोगान करने
तड़के उठकर
अपनी सखियों सहित
नहाने जाती हैं।
सोनेवाली सखियों को जगाने के लिए
ये गीत गाती हैं।
आज के गीत में
गोपियाँ कृष्ण को ही चाहती हैं ,
पर आज विवाद शुरू हो गया --
श्री कृष्ण बड़े हैं या राम ?
*****
आइये !१३ वां गीत के भाव पर ध्यान देंगी :-
मनको मधुर श्री कृष्ण है या राम
सुनिए !आण्डाल का विवाद :-
कृष्ण के पक्ष में एक दल :-
देखो! बगुले के आकार के
बगुलासुर के मुख फोड़कर
श्री कृष्ण ने वध किया है.
राम के पक्ष में गाया --
दुष्ट राक्षस रावण के सर को
घास की तरह उखाड़ फेंका है राम ।
इनके बीच एक सखी सोती हुई सखी को
जगाने अंदर गयी , और कहा , जागो !चन्द्रास्त होकर सूर्योदय के पहले ही कुछ सखियाँ उठकर व्रत रखने चली गयीं।
तब सोती सखी ने विवाद किया कि इनको कैसे मालूम ----
गुरु ,शुक्र ग्रहों का अस्त होना ?
तब सखी ने कहा -
क्या तुम्हें पक्षियों का कलरव्
सुनायी नहीं पड़ा?
फिर उसको छूकर जगाने अंदर जाती है।
सखी इसके आते देख
और गहरी नींद का अभिनय करती हैं.
सखी उसको जगाती हुयी कहती हैं -
सखी !उठो!
अभी सूर्य नहीं निकला ;
शीतल पानी में नहाना आनंद प्रद है।
यही सुसमय है!
तेरी नींद का अभिनय छोडो।
यह तो नींद चोरी नींद। जागो !
जगन्नाथ के यशोगान में
सखियों सहित लग जाओ।
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