Tuesday, November 6, 2018

निर्भर जान.(मु )

बहुत हैं  दुनिया में सुख ,
बहुत है दुनिया के दुःख।
ज्ञानी मनुष्य के कर्म में
चुनने छोड़ने में ,सोचने में
पसंद करने में मदद करने में ठगने में
सुख दुःख निर्भर जान.

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