Saturday, November 24, 2018

आध्यात्मिक बातें( मु )

सोचो ,समझो ,विचारो ,
संसार क्यों सुखी ?
संसार क्यों दुखी ?
गरीबी के कारण ?
बेकारी के कारण ?
जन्म के कारण ?
बचपन के कारण ?
जवानी के कारण ?
सम्भोग के कारण ?
प्रेम के कारण ?
नफरत के कारण ?
शिक्षा के कारण ?
अशिक्षा के कारण ?
साध्य रोग के कारण ?
असाध्य रोग के कारण ?
संतान के कारण ?
संतान भाग्य न होने के कारण ?
सत्य के कारण ?
असत्य के कारण ?
चाह के कारण ?
लोभ के कारण ?
क्रोध के कारण ?
अहंकार के कारण ?
हिंसा के कारण ?
अहिंसा के कारण ?
दुर्घटना के कारण ?
अल्प आयु की  मृत्यु के कारण ?
बुढ़ापे के कारण ?
पति के कारण ?
पत्नी के कारण ?
सालों के कारण ?
सालियों के कारण ?
ननद के कारण ?
ननदोई के कारण ?
भाई के कारण ?
बहनों के कारण ?
पिता के कारण ?
चाचा -चाची ,काका काकी के कारण ?
शासकों के कारण ?
शासितों के कारण ?
भक्ति के नाम ठगने के कारण ?
बाह्याडम्बर के कारण ?
दोस्तों के कारण ?
दोस्ती निभाने के कारन ?
कृतज्ञता के कारण ?
कृतघ्नता के कारण ?
भोग के कारण ?
त्याग के कारण ?
गृहस्थी के कारण ?
सन्यास के कारण ?
देश भक्ति के कारण ?
देश द्रोही के कारण ?
आतंकवादी के कारण ?
शान्ति वादियों के कारण ?
जंगली पशुओं के कारण ?
पालतू पशुओं के कारण ?
अकाल के कारण ?
अभाव  के कारण ?
परिवार के कारण ?
परंपरा के कारण ?
पाप कर्म के कारण ?
पुण्य कर्म के कारण ?
दान - धर्म के कारण ?
कंजूसी के कारण ?
हर अच्छे या बुरे कारण से
दुखियों की संख्या अधिक ?
या दुखियों की संख्या अधिक ?
सोचो ,विचारो ,समझो ,समझाओ ,
जागो ,जगाओ ,

भ्रष्टाचार -रिश्वत के कारण ?
प्राकृतिक कोप के कारण ?
आधुनिक कृत्रिम साधनों के कारण ?
कारण जो भी हो
उपर्युक्त कारणों में से
एक मानव को दुखी बना रहा है।
अस्थायी संसार ,
अस्थायी जीवन
अस्थायी नाते -रिश्ते ,
चंचल मन ,चंचल धन
सबहीं  नचावत राम गोसाई।
धन-लाभ की ओर  बढ़ते चरण
अपनी क्षमता जानने में भूल.
अपनी योग्यता जानने में भूल।
अपनी भूलों को पहचानने में भूल।
अपने को भूल ,
परायों के पीछे चलने की भूल।
अपने पर विचारो
अपनी योग्यता पर सोचो
अपनी शक्ति पर विचार करो।
हर कोई नाग नहीं बन सकता।
हर कोई बाघ न बन सकता।
हर कोई सिंह नहीं बन सकता ?
हर कोई सियार या भेड़िया बन नहीं सकता।
हर कोई खुशबूदार फूल नहीं बन सकता।
मिश्रित गुणी मानव के भाग्य में
जन्म के पहले ही भाग्य लिखित
विधि की विडम्बना कोई ताल नहीं सकता।
यह मानव बुद्धि धिक्कार।




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