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Thursday, November 22, 2018

भक्ति ध्यान यह प्रेरित शक्ति (मु )

मन है तो यादों की बारात
स्मरण पटल पर
निकला करती है.
बचपन की यादें,
जवानी की यादें
मेरी यादें
गरीबी का आनंद
अमीरी की वेदनाएँ.
ईश्वरीय अनुभूतियाँ
दोस्तों की मदद.
मेंने उपकार किया या नहीं
अनेकों ने मेरी मदद की है.
धीरे धीरे मेरी तरक्की हुई.
हर स्नातक पत्राचार द्वारा.
29की उम्र में यम. ए.,
सस्ता विश्व विद्यालय.
एक सौ रुपये में स्नातकोत्तर।
श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुप्पति.
ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन और कृपा कटाक्ष।
परीक्षा प्रथम साल लिखकर
तिरुमलै पहाड पर पहली यात्रा.
बडी भीड, राजगोपुर गया तो
विश्व विद्यालय के प्रवेश पत्र
दिखाकर सीधे दर्शन बिना कतार पर खडे।
द्वितीय साल की परीक्षा देने गया
फिर दर्शन के लिए ऊपर गया तो
प्रवेश पत्र दिखाया तो न जाने दिया.
भीड में राजद्वार पर मैं
तभी किसने मुझसे कहा,
वी. ऐ. पी पास है,
आइए मेरे साथ.
सीधे दर्शन दिव्य दर्शन.
दर्शन के बाद उससे नाम पूछा
तो कहा,
नाम है वेंकटाचलपति.
सब का अन्न दाता.
मैं अवाक खडा रहा.
वह नदारद.
यह ब्रह्मानंद
केवल महसूस ही कर सकता.
गूँगा गुडखाइकै के समान।
यादें हमेशा हरी भरी।
हिंदी विरोध तमिलनाडु में
स्नातकोत्तर बनते ही
स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक.
यह ईश्वरानुभूति
अपूर्व आनंद की यादें
चिर स्मरणीय और अनुकरणीय.
भक्ति ध्यान यह प्रेरित शक्ति.

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