Wednesday, November 28, 2018

मज़हबी स्वार्थी तजो। (मु )

भगवान भगवान बोलते हैं ,
नहीं रखते भगवान पर विश्वास। 
प्रायश्चित करने मंदिर जाते हैं 
मंदिर की मूर्ती सजी 
सोने के कवच से ,
चमकी हीरे के मुकुट से। 
मंदिर बना लूट के पैसे से। 
कवच मुकुट दिए हैं 
भ्रष्टाचार के मंत्री। 
काले धन हुंडी में 
काले व्यापारी हाथ से 
मंदिर सजा है 
जैसे हिरण्य कश्यप जैसे 
सोचो समझो 
बनो प्रह्लाद। 
जागो जगाओ 
बनो भक्त ध्रुव। 
लौकिकता प्रायश्चित 
वे ही करते वे ही कराते 
जो धनी लालची हो 
धनी ही बच सकते हैं तो 
गरीबों पर भगवान की दया नहीं। 
सोचा विचारा अनुभूति मिली 
लुटेरे ही करते यज्ञ हवन। 
दशरत के यज्ञ फल 
उनको शोक मृत्यु। 
राम का अश्वमेध यज्ञ 
सीता का शोक -विरह।
ब्राह्मणो !यज्ञ करो ,
देखता हूँ भ्रष्टाचारियों के हार हो.
करोड़ों रूपये का खर्च करते 
सांसद -विधायक ,
पैसे लेकर खून करनेवाले 
मज़दूरी खूनी ,
मतदेनेवाले मतदाता ,
भ्रष्टाचारी नेता को 
आँखें मूँदकर उम्मीद करने वाले 
३०% दल के सेवक रहते 
कैसे हारते। 
जिन्होंने मंदिर तोड़े 
बगैर उनके कांग्रेस नहीं जीत सकता।

भगवान पर विशवास नहीं ,
बाह्याडम्बर पर विशवास ,
भगवान को छिन्न-भिन्न कर 
कहते हैं पुण्य मिलेगा। 
भक्त त्यागराज , भक्त रैदास ,
भक्त प्रह्लाद बनो ,
तजो -बाह्याडम्बर भक्ति .
तभी होगी देश की भलाई।
दान धर्म करो 
मजहबी स्वार्थी तजो.

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