Tuesday, December 26, 2017

अस्थायी जग

अपनी आँखों से उसे दूर जाते देखा है,
शीर्ष क उसे माने क्या?
सुंदर प्रेमी या प्रेमिका या मित्र
मिलने -बिछुड़ जाने कितनी कविताएँ.
मैं जब छोटा था,
मुझे कितनों का प्यार मिला
बडा बना तो उसे दूर होते देखा.
कम कमाई, पर नाते रिश्ते के आना जाना
खुशी से मिलना दुलारना,
उन सब को देखा .
घर छोटा-दिल बड़ा.
अधिक कमाई बडा घर पर
नाते रिश्ते की
आना- जाना ,मिलना- जुलना
सब को
अब बंद होना देखा था.
गुरु जन मुफ्त सिखाते,
अब बोलने के लिए तैयार
पैसे गुरु शिष्य वात्सल्य मिलते देखा.
हर बात हर सेवा, नेताओं का त्याग
सब दूर
कर्तव्यपरायणता सब मिटते
दूर होते दे देख रहा हूँ,
क्या करूँ?
स्वच्छ जल की नदियाँ ,
जल भरे मंदिर के तालाब
उन सबके दूर होते देख रहा हूँ
. क्या करूँ?
अब मेरी जवानी मिट दूर होते देख रहा हूँ.
हृष्ट पृष्ट शरीर में झुर्रियां देख रहा हूँ.
उसे दूर जाते देखा है,
अस्थायी जग में सब के सब दूर जाते देखा है.

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