हमारे देश में कितनी भाषयें थी,
उतने ही ज्ञानी थे.
उनकी रचनाएँ अमर हैं.
मुग़ल आये तो खडी बोली
ढाई लाख की बोली
पनपी ,वह तो चमत्कारी.
भारतेंदु काल से आधुनिक काल तक
१९०० से आज तक अद्भुत विकास.
हिन्दी या हिन्दुस्तानी ऐसी होड़ में
शुक्रिया या धन्यवाद ,
कोशिश या प्रयत्न
खिताब या उपाधी यों ही
शब्द भण्डार बढे .
लिपि छोड़ उर्दू -हिंदी की समानता
मजहब नहीं सिखाता ,
आपस में बैर रखना.
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा हमारा.
बंटवारे के बाद भी एकता की निशानी .
उतने ही ज्ञानी थे.
उनकी रचनाएँ अमर हैं.
मुग़ल आये तो खडी बोली
ढाई लाख की बोली
पनपी ,वह तो चमत्कारी.
भारतेंदु काल से आधुनिक काल तक
१९०० से आज तक अद्भुत विकास.
हिन्दी या हिन्दुस्तानी ऐसी होड़ में
शुक्रिया या धन्यवाद ,
कोशिश या प्रयत्न
खिताब या उपाधी यों ही
शब्द भण्डार बढे .
लिपि छोड़ उर्दू -हिंदी की समानता
मजहब नहीं सिखाता ,
आपस में बैर रखना.
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा हमारा.
बंटवारे के बाद भी एकता की निशानी .
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