Friday, December 8, 2017

जय जवान .जय किसान


जय जवान ! जय किसान!


दिनकर की रोशनी दिन -दिन ,

युग के परिवर्तन
रात में काम 

दिन में निद्रा .
 वे न जानते धूप.

मैंने सोचा तो सुना
आधी रात में खिलनेवाले 

फूल भी हैं ,
अँधेरे में देखने के उल्लू भी हैं. 

स्वार्थ के लोग अति कम ,
सेवक सच्चे अधिक.

सीमा पर लड़ते
 देश भक्त जवान. 

यहाँ के एक करुणा,
 जोड़ते भ्रष्टाचार रूपये
 लाख करोडो.

कुमारी जोड़ कर ,
जोड़ने के लुटेरों को छोड़ 

जेया जेया कार लेकर
चल बसी. 


ऐसे एकाध विषैली जन्तुयें
अपराध करके भी 

पाती सम्मान. 
जगाना हैं देश के युवक युवतियों को
स्वार्थी तत्वों को 

पनपने न देना.
चंद चाँदी की चिड़िया पाकर 
न देना बदमाशों को ,
भ्रष्टाचारियों को ,
काले धनियों को 

ठगों को खूनियों को वोट, 
सिखाना है उनको

 देश ही प्रधान .

जय जवान !जय किसान!

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