मनुष्य माँ के गर्भ के अंधकार में
सूक्ष्म बिंदु में जुडकर
तम में पलता
दस महीने में
प्रकाश में आता .
फिर जीने के लिए
ग्ञानांधकार से
छूट संसार को पहचाना.
तभी
अंधे कानून, अंधे हिसाब, सब में
अमीरों को विजयांधकार,
ममकार अंधकार,
प्रेमांध, कितने अंधकार से
मनुष्य को प्रकाश की ओर
लाना कितना आसान,
कितना मुश्किल .
जनतंत्र अंधकार,
मत केलिए धन.
धनांधकार,
पदांधकार,
अधिकारांधकार,
इन सब से छूटने पर
सच्चे भक्तों के दर्शन में
ज्योति स्वरूप ईश्वर के
योग ग्ञान
ब्रह्मानंद प्रकाश.
प्रह्लाद सूरज के प्रकाश
हरियाली तन मन में.
अंकुर के फूटना भी भूमि
गर्भ के अंधकार से,.
सूक्ष्म बिंदु में जुडकर
तम में पलता
दस महीने में
प्रकाश में आता .
फिर जीने के लिए
ग्ञानांधकार से
छूट संसार को पहचाना.
तभी
अंधे कानून, अंधे हिसाब, सब में
अमीरों को विजयांधकार,
ममकार अंधकार,
प्रेमांध, कितने अंधकार से
मनुष्य को प्रकाश की ओर
लाना कितना आसान,
कितना मुश्किल .
जनतंत्र अंधकार,
मत केलिए धन.
धनांधकार,
पदांधकार,
अधिकारांधकार,
इन सब से छूटने पर
सच्चे भक्तों के दर्शन में
ज्योति स्वरूप ईश्वर के
योग ग्ञान
ब्रह्मानंद प्रकाश.
प्रह्लाद सूरज के प्रकाश
हरियाली तन मन में.
अंकुर के फूटना भी भूमि
गर्भ के अंधकार से,.
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