२०१७ वर्ष का अंतिम दिन.
बारह महीने में क्या पाया ?
क्या खोया ?
कितना प्रेम मिला ?
कितना नफरत ?
कितना धन ?
जो बात गयी ,बीत गयी .
चिंता छोड़ दो.
जीवन में कई बातें ऐसी ,
सत्य अकेला ही रोता हैं.
झूठ मिलकर हँसता है.
यही संसार है.
न जाने मैं क्यों जी रहा हूँ ,
ऐसे विचार छोड़,
जीने के लिए कुछ खासियत है ,
यों सोचो .
भले ही सब के सब
बेटे ,बहु ,सब दूर रखें ,
जरूर हमारे जन्म का कोई न कोई
उद्देश्य होगा ही.
सब के अपमान को मान समझ आगे बढ़.
सत्य का पुजारी हमेशा अकेले ही रहता हैं .
बारह महीने में क्या पाया ?
क्या खोया ?
कितना प्रेम मिला ?
कितना नफरत ?
कितना धन ?
जो बात गयी ,बीत गयी .
चिंता छोड़ दो.
जीवन में कई बातें ऐसी ,
सत्य अकेला ही रोता हैं.
झूठ मिलकर हँसता है.
यही संसार है.
न जाने मैं क्यों जी रहा हूँ ,
ऐसे विचार छोड़,
जीने के लिए कुछ खासियत है ,
यों सोचो .
भले ही सब के सब
बेटे ,बहु ,सब दूर रखें ,
जरूर हमारे जन्म का कोई न कोई
उद्देश्य होगा ही.
सब के अपमान को मान समझ आगे बढ़.
सत्य का पुजारी हमेशा अकेले ही रहता हैं .
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