Sunday, November 19, 2017

हिंदी( ச)

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी जगत 
और राष्ट्र जगत .
हिंदी एक सेतु .
किसने बाँधा ,
पता नहीं ,

अपभ्रंश , मैथिली , अवधि , व्रज ,
भोजपुरी , मारवाड़ी , सब भाषाएँ
हड़पकर खडीबोली हिंदी ,

कैसे पनपी?
किसने विकसित  किया?
हिन्दीवालों की देन--नहीं
वे अन्यों की हिंदी को
ज़रा दूसरी या तीसरी श्रेणी ही देते.
वज़ह क्या ? कारण क्या ?पता नहीं .
राजा राम मोहन राय , दयानंद सरस्वती ,
आचार्य विनोबा . मोहनदास करम चंद जी ,

(गांधी कहने पर सब को खान परिवार की ही याद आती ).
हिंदी या हिन्दुस्तानी ?
गांधीजी का समर्थन हिन्दुस्तानी से था .

संस्कृत मिले या उर्दू मिलें

चित्र  पट दुनिया तो अधिक


शुक्रिया को , किस्मत को ,इश्क मुहब्बत को

शोर ,आवाज़ को जोर दिया.

क्रोध को दबाया, रूठ रूठ को बढ़ाया.
जो भी हो खडीबोली बाजारू हिंदी
आज विश्व मित्र को जोड़ रही है.
अतः हम मिल रहे हैं .
संभाषण करते हैं .
वार्तालाप या संवाद?
सब में हैं हिंदी यार बोलो ,सखा बोलो
दोस्त बोलो , मित्र बोलो ,
सब में चमकती हिन्दी.

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