मनुष्य समाज,
घर परिवार
व्यक्ति को
मानसिक संतुष्ट के लिए
सोने के पहले
बहुत सोचना है,
किस के बारे में.
सबेरे से ऱात तक
हमारे कर्मों में
कितनी सफलता मिली,
कितनी असफलता मिली.
कितने हम से सुखी हुए ,
कितने दुखी हुए,
कितने भले किये
कितने बुरे.
हमारे कर्म अपने को
कितना आनंदप्रद रहा,
कितने कर्म आम सभा में
कहने योग्य रहे,
कितने खुद को लज्जित किये?
यही आत्म मंथन
मनुष्य को ईश्वर तुल्य बनाएगा.
मनुष्य को सुधारेगा.
आगे बनाएगा.
आत्मचिंतन मंथन
संतोषप्रद होंगे.
घर परिवार
व्यक्ति को
मानसिक संतुष्ट के लिए
सोने के पहले
बहुत सोचना है,
किस के बारे में.
सबेरे से ऱात तक
हमारे कर्मों में
कितनी सफलता मिली,
कितनी असफलता मिली.
कितने हम से सुखी हुए ,
कितने दुखी हुए,
कितने भले किये
कितने बुरे.
हमारे कर्म अपने को
कितना आनंदप्रद रहा,
कितने कर्म आम सभा में
कहने योग्य रहे,
कितने खुद को लज्जित किये?
यही आत्म मंथन
मनुष्य को ईश्वर तुल्य बनाएगा.
मनुष्य को सुधारेगा.
आगे बनाएगा.
आत्मचिंतन मंथन
संतोषप्रद होंगे.
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