सोचो समझो,
सनातन धर्म का उद्धार करो
सनातन धर्म का उद्धार करो
हमारे मन की गहराई में ,
भक्ति असली है तो
गंभीर विचार करना ही
आत्म मंथन.
प्यार की बातें ,
खूब सूरत लडकी
विश्वामित्र की तपस्या भंग .
बड़े -बड़े राजा महाराजा के
चरित्र व् राज्य पतन .
फिर भी बाह्याडम्बर से
सनातनधर्मवासी
कर्म फल ,
भाग्य-फल ,
पापों का दंड कह
मनुष्यता के दान -_धर्म छोड़
मनुष्यों में उच्च-नीच
भेद भाव उत्पन्न कर
हीरे के मुकुट ,
सोने के कवच से
देवी-देवता- और
ढोंगियों को अलंकृत कर
उत्सव के नाम ,
भक्ति के नाम ,
समाज-दीन -दुखियों की
सेवा भूल ,
ईश्वर के विसर्जन के नाम
गरीबों को भी नहीं ,
समाज को भी नहीं ,
ईश्वर और धर्म संस्थापनों को ही नहीं ,
करते तन -मन धन का व्यर्थ प्रयोग .
तेरसा आयी ,
ईसाई आये ,
सेवा में लगे ,
धर्म परिवर्तन
आसान से होने लगे .
दलितों को कनवर्टेड
ईसाई बनाए,
अपम्मानित मनुष्य
जागने लगे ,
ऐसे जनकल्याण के
कार्य में लग
परिवर्तित धर्मियों के
मानसिक परिवर्तन लाना
आत्म-मंथन के सिवा
और कुछ नहीं.
आत्मा कहती है
बिना अंग्रेज़ी के
जागरण असंभव .
सामाजिक क्रान्ति असंभव.
दलितों को आज भी
इतना अपमान .
आरक्षण की नीति से
उच्चवर्ग और देशोन्नति,
बुद्धीमानों और होशियारों का अपपान .
न नौकरी,
न उन्नति.
फिर भी
हिन्दुओं में इंसानियत की
कमी ही लगी.
गरीबों को, दलितों को
उचित शिक्षा दो ,
विदुर के जैसे
बुद्धिजीवियों को
हटाकर अछूत कह
दूर मत करो .
स्वरचित अनंत कृष्णन द्वारा . आत्म चिंतन के लिए
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