Sunday, August 12, 2018

समाज कल्याण नहीं

सब दोस्तों को प्रातःकालीन प्रणाम।
वणक्कम।एल्लोरुक्कुम कालै वणक्कम।
सब को नचानेवाले ईश्वर का क्या रूप रंग है?
रूप -कुरूप की सृष्टि ईश्वर ने की है.
ईश्वर के रूप मानव ने दिए हैं।
इसीलिये मज़हबी और मत-मतान्तर की लड़ाइयाँ हैं.
निराकार ईश्वर में कोई भेद नहीं है.
वनस्पतियां ,चन्द्रमा , सूरज , वर्षा , सागर , हवा , एक मज़हब के नहीं ; तिलक भेद से इनका एक प्रकार के तिलक दारी का नहीं।
शक्कर खाते हैं तो विष्णु भक्तों को भी मीठा है ,शिव भक्तों को
भी मीठा है. अल्ला के इबादत करनेवालों को भी ,ईसा के अनुयायियों को भी मीठा ही होता है.
आग सब को एक ही प्रकार से जलाता है.
सर्वशक्तिमान ईश्वर है,प्रार्थना कीजिये।
भगवान के नाम भेद लेकर लड़ना ,लड़ाना , लड़वाना
सांसारिक शान्ति का भंग करना है.
समाज का कल्याण नहीं .

No comments:

Post a Comment