Wednesday, August 15, 2018

मैं हूँ ईश्वर शरणार्थी

सब को प्रातःकालीन प्रणाम.
ईश्वर हमारे रक्षक हैं.
हमारे सुंदर असुंदर
रूप की सृष्टिकर्ता है.
हमारे गुण अवगुण  को
कार्यान्वित  करनेवाला है.
उनकी कृपा से ही
अत्याचारी  अशोक, घृणित अशोक
मन बोलकर जन सेवा में लगा.
महान अशोक सम्राट बना.
राम, कृष्ण ईश्वर का प्रतिबिंब होने पर भी
जनता में सीता के त्याग से राम और युद्ध  के षडयंत्र  से
कृष्ण  कलंकित हो गये.
हरिश्चंद्र  जैसे सत्यवान को
श्मशान घाट का पहरा देना पडा.
अब भारतीय प्रतिभावान  बन रहे हैं, पर
अपनी भाषा, अपनी संस्कृति  भूल रहे हैं.
भगवान से प्रार्थना  है वह सद्बुद्धि दें.
योग्यता के बल पर नौकरी मिलें
आरक्षण  के नाम, रुपयों  के बल, भ्रष्टाचार  के बल,
घूस के बल  प्रशासन  न चलकर ईमानदार और सत्य को महत्व दें
यह तो प्रार्थना  है, चाह है, आशा है,
पर सबको नचानेवाले ईश्वर से प्रार्थना  की क्या ज़रूरत.
फिर आज यह विचार लिखने की बुद्धि  ईश्वर ने दी है.
 मैंहूँ ईश्वर शरणार्थी.ऊ

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