Thursday, August 23, 2018

निर्दयी नाम लेता है ईश्वर।

भगवान एक बागवान ,
रंग बिरंग के फूल ,
रंगबिरंगे मनुष्य ,
रंग बिरंगे विचार ,
तरह तरह के रोग ,
सबको पालनहार भगवान
कुछ पौधोंको पानी देता है ,
कुछ को छोड़ देता है
अल्पायु ,मध्य आयु में ही
निराई कर देता है.
कुछ पर ध्यान ही नहीं देता।
वह जिम्मेदारी है प्रार्थना सुनने पर ,
गैर जिम्मेदारी खुद ध्यान न देने पर,
निर्दयी प्रार्थना न सुनने पर.
प्रार्थना वह सुनता ही है,
पर ध्यान में मन मानव का नहीं लगता।
चंचल ,अविश्वास ,ईश्वर और अपने बीच
दलाल की खोज
मनुष्य को बीच धार छोड़
निर्दयी नाम लेता है ईश्वर।

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