Wednesday, December 2, 2020

गुरु नानक

 नमस्ते। वणक्कम।

शीर्षक -

गुरुनानक आदर्श समाज  सुधारक

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विधा --गद्य।

 गुरु नानक समाज में सत्य,धर्म, ईमानदारी, परोपकार, सहानुभूति,

आदि मनुष्यता के गुणों के प्रचार 

करने गांव गांव जाया करते थे।

  एक गांव में प्रवचन करते समय

एक भयंकर डाकू उनसे मिला।

उसने गुरु महोदय से कहा कि मैं बड़ा पापी हूं। डकैती करना, चोरी करना,खून करना मेरा धंधा है। मैं दुखी हूं।

मैं अपना धंधा छोड़ भी नहीं सकता।

ऐसा उपाय बताइए, मैं अपना धंधा करूं और आनंद से जी सकूं।।

 गुरु नानक ने डाकू से कहा -

कल भी मैं यहां प्रवचन करूंगा।

तुम आज रात से कर शाम तक जो भी करते हो, उन्हें सविस्तार लिखो।

तुम को अपने धंधा छोड़ने की जरूरत नहीं है।पर अवश्य तुम अपने किये कार्यों को लिखा करो।और रोज प्रवचन के समय आम लोगों के सामने पढ़ा करो।

डाकू गुरु वंदना करके चला गया।।

  गुरुनानक अपने कार्याधिक्य कारण भूल गये ।

  एक महीने के बाद डाकू आया।

भरी सभा में सब के सामने गुरु के पैरों पर गिरा और क्षमा मांगी।।

 गुरु नानक ने पूछा --कयों इतने दिन नहीं आये।

 डाकू ने कहा कि मैं  अपने बद कामों को पढ़कर  खुद शर्मिंदा हूं। कैसे मैं सार्वजनिक लोगों के सामने पढूं?

मैं अब अपने डकैती,चोरी के काम छोड़ दिया।

 गुरुनानक महान थे।

उनकी सीख है कि सोने के पहले

दिन भर के हमारे कार्यों को 

पढ़कर आत्म परीक्षण द्वारा

अपने बुरे

काम तजकर

अच्छे काम करेंगे तो 

अपनी मानसिक संतोष,आनंद,शांति

पूर्ण जिंदगी बिता सकते हैं।


स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।

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