रमण महर्षि कृत अक्षर माला।
अद्वैतवादी अरुणाचल अपने में ईश्वर को बसाकर
अक्षरमाला की रचना की है। इस गीत माला एक मुगल प्राध्यापक
हबीब सैयद के सवाल था कि आप तो अद्वैतवादी हैं।
आप कैसे अरुणाचलेश्वर को पराया बनाकर कैसे गाते हैं? अतः अरुणाचलेश्वर को अपने में ऐक्य बनाकर गाये हैं।। अतः अक्षरमाला की विशेषता ईश्वर रोपण श्रषि में विराजि रचे ग्रंथ।।
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