Sunday, December 13, 2020

जिंदगी एक सफर

 आज कवि कुटुंब दल के

वाक्य के आधार पर मेरीअपनी निजी कविता।


कवि कुटुंब के प्रशासक,समन्वयक, संयोजक  और सदस्यों को सादर प्रणाम।।

  जिंदगी एक सफर सुहाना,

 कल करता हो किसने जाना।।

यह  चित्रपट  गीतअति प्रसिद्ध।।

तमिल नाडु के  गडरिया भी गाता था।

वह द्राविड कलकम् के हिंदी

 विरोधी था।

अपने नेता हिंदी विरोधी,

अतः वह भी हिंदी विरोधी।।

अंध भक्ति,नेता, पिता माता ,

संतानों का अंधानुकरण,

कभी न बनाता जिंदगी को 

सुहाना सफर।।

  सुख-दुख जो भी हो,

भगवान की देन।

कम पूंजी,सौ गुना लाभ,

अति आनंद, भगवान की कृपा।।

अधिक पूंजी अधिक  नुकसान,

अति दुख वह भी ईश्वरीय देन।।

दिन रात का मेहनत,

निरंतर गाने का अभ्यास,

फिर भी मुंह से 

निकलता कठोर आवाज।

फुटपाथ के भिखारी का मधुर स्वर।

रोगी का पुत्र अत्यंत स्वस्थ ,

वह भी  ईश्वर की देन।।

चिकित्सक का पुत्र असाध्य रोगी,

वह भी सर्वेश्वर की कृपा।।

 जो इन बातों को मानकर,

सदा हर हालत में सानंद रहता है,

 वास्तव में  जिंदगी 

एक सफर सूहाना।।

 सुख में दुख में जीवन पथ पर

साथ देनेवाले भगवान,

मानकर आगे प्रसन्न होकर  बढ़ना,

जिंदगी एक सफर सुहाना,

कल करता हो किसने जाना।।

स्वरचित,स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।







कवि कुटुंब के प्रशासक,समन्वयक, संयोजक  और सदस्यों को सादर प्रणाम।।

  जिंदगी एक सफर सुहाना,

 कल करता हो किसने जाना।।

यह  चित्रपट  गीतअति प्रसिद्ध।।

तमिल नाडु के  गडरिया भी गाता था।

वह द्राविड कलकम् के हिंदी

 विरोधी था।

अपने नेता हिंदी विरोधी,

अतः वह भी हिंदी विरोधी।।

अंध भक्ति,नेता, पिता माता ,

संतानों का अंधानुकरण,

कभी न बनाता जिंदगी को 

सुहाना सफर।।

  सुख-दुख जो भी हो,

भगवान की देन।

कम पूंजी,सौ गुना लाभ,

अति आनंद, भगवान की कृपा।।

अधिक पूंजी अधिक  नुकसान,

अति दुख वह भी ईश्वरीय देन।।

दिन रात का मेहनत,

निरंतर गाने का अभ्यास,

फिर भी मुंह से 

निकलता कठोर आवाज।

फुटपाथ के भिखारी का मधुर स्वर।

रोगी का पुत्र अत्यंत स्वस्थ ,

वह भी  ईश्वर की देन।।

चिकित्सक का पुत्र असाध्य रोगी,

वह भी सर्वेश्वर की कृपा।।

 जो इन बातों को मानकर,

सदा हर हालत में सानंद रहता है,

 वास्तव में  जिंदगी 

एक सफर सूहाना।।

 सुख में दुख में जीवन पथ पर

साथ देनेवाले भगवान,

मानकर आगे प्रसन्न होकर  बढ़ना,

जिंदगी एक सफर सुहाना,

कल करता हो किसने जाना।।

स्वरचित,स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।


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