Wednesday, November 18, 2015

परेशानी ही होगी परेशानी.

विश्व के व्यवहार देखो ;

धन  ही धन  जीनेवाले ,

निर्धनी सा सुखी नहीं ;

निर्धनी का विचार है 

धनी ही सुखी. 

धन जोड़कर देखो ;
धनी बनकर सुखी बनो ;

बाह्याडम्बर  के चक्कर में 

आधुनिक सुख सुविधाओं ओ भोगकर देखो ;

पैदल चलना भारी हो जाएगा;

ज़रा सा सर्दी ,ज़रा सी गर्मी सहना मुश्किल 
हो जाएगा; 
बिजली का पंखा ,
वातानुकूल कमरा 
सुख झेलकर एक दिन भी 
उनके बिना मीठी नींद सोना 
दुर्लभ हो जाएगा। 

कृत्रिम वातावरण में पलने से शरीर 
साथ न देगा ;
पानी तक फूँक फूंककर पीना पडेगा;
साँस  लेना दुर्लभ हो जाएगा;

रोग रहित गोली रहित सुविधा रहित जीवन 

नरक तुल्य बन जाएगा;

निर्धनी सा मीठी नींद ,
निर्मल हँसी  ,
मिलना जुलना असंभव हो जाएगा;
नौकर चाकर का आदर मिलेगा;
दिली मुहब्बत मिलना दूभर हो जाएगा;
नाते रिश्ते भी 
ऐंठकर रहेंगे;
ऊँचे  पर पहुँच जाओ 
सुरक्षा दल  के बिना चलना बाज़ार में 
बेचैन हो जाएगा. 
चाय की दूकान  से प्रधान बने मोदीजी ,
स्वयं सेवक मोदीजी ,
अभिनेता कंडक्टर से बने रजिनी जी 
तब जैसे आम जगहों में स्वच्छंद घुमते ,
अब सुरक्षा दल सहित चलना पड़ता है;

धनी और उच्च पद पर देखो 
बेचैनी ही बचेगी ज्यादा;
हर शब्द हर चाल में ज़रा सी असावधानी 
चर्चा बन जाएगी;
कपडे पहनो उसके दाम की चर्चा;

लड़की से हाथ मिलाओ चर्चा ;
चर्च जाओ चर्चा ;मस्जिद जाओ चर्चा ;
न जाओ तो नास्तिक;
जाओ तो धार्मिक ;
अमुक धर्म का अनुयायी ;
अमुक धर्म से फिसलकर विधर्मी का समर्थक;
जो  करो अखबार में आलोचना;
धनि और उच्च पद पर पहुंचकर देखो 
परेशानी ही होगी परेशानी. 






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