विश्व के व्यवहार देखो ;
धन ही धन जीनेवाले ,
निर्धनी सा सुखी नहीं ;
निर्धनी का विचार है
धनी ही सुखी.
धन जोड़कर देखो ;
धनी बनकर सुखी बनो ;
बाह्याडम्बर के चक्कर में
आधुनिक सुख सुविधाओं ओ भोगकर देखो ;
पैदल चलना भारी हो जाएगा;
ज़रा सा सर्दी ,ज़रा सी गर्मी सहना मुश्किल
हो जाएगा;
बिजली का पंखा ,
वातानुकूल कमरा
सुख झेलकर एक दिन भी
उनके बिना मीठी नींद सोना
दुर्लभ हो जाएगा।
कृत्रिम वातावरण में पलने से शरीर
साथ न देगा ;
पानी तक फूँक फूंककर पीना पडेगा;
साँस लेना दुर्लभ हो जाएगा;
रोग रहित गोली रहित सुविधा रहित जीवन
नरक तुल्य बन जाएगा;
निर्धनी सा मीठी नींद ,
निर्मल हँसी ,
मिलना जुलना असंभव हो जाएगा;
नौकर चाकर का आदर मिलेगा;
दिली मुहब्बत मिलना दूभर हो जाएगा;
नाते रिश्ते भी
ऐंठकर रहेंगे;
ऊँचे पर पहुँच जाओ
सुरक्षा दल के बिना चलना बाज़ार में
बेचैन हो जाएगा.
चाय की दूकान से प्रधान बने मोदीजी ,
स्वयं सेवक मोदीजी ,
अभिनेता कंडक्टर से बने रजिनी जी
तब जैसे आम जगहों में स्वच्छंद घुमते ,
अब सुरक्षा दल सहित चलना पड़ता है;
धनी और उच्च पद पर देखो
बेचैनी ही बचेगी ज्यादा;
हर शब्द हर चाल में ज़रा सी असावधानी
चर्चा बन जाएगी;
कपडे पहनो उसके दाम की चर्चा;
लड़की से हाथ मिलाओ चर्चा ;
चर्च जाओ चर्चा ;मस्जिद जाओ चर्चा ;
न जाओ तो नास्तिक;
जाओ तो धार्मिक ;
अमुक धर्म का अनुयायी ;
अमुक धर्म से फिसलकर विधर्मी का समर्थक;
जो करो अखबार में आलोचना;
धनि और उच्च पद पर पहुंचकर देखो
परेशानी ही होगी परेशानी.
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