Saturday, September 30, 2017

रावण के चित्र पर कुछ लिखने "उड़ान " ने कहा तो मेरे विचार,

रावण लोगों के ग्ञाता, 
वीर सूर अहंकारी, 
तभी हमें एक सीख दी, 
काषाय पहने सब दया और दानी के पात्र नहीं, 
लकीर लाँघना, वचन छोडना, सीता की गल्ती. 
वहाँ रावण उठाकर ले गया, पर
न उनके पतिव्रता का भंग किया.
विभीषण कुल कलंक, भाई छोड,
राम की साथ दिया, पर वह राम अग्नि में
नहाकर अपने पतिव्रता धर्म रक्षिका सीता को
जंगल में छोड आया़. दो बच्चे एक असली,
दूसरा नकली. कुश तोडना ये जन्मा.
भीष्म पितामह जिसे कह करते हैं मर्यादा.
तीन राजकुमारियों को जबरदस्त उठा ले आया.
वह भा नाम था विचित्र वीर्य,
जो वैवाहिक जीवन का अयोग्य.
उन तीनों के पुत्र अवैध, पतिव्रता है नहीं.
कुंती के तीन पुत्र उसके नहीं.
विदुर को रखा दूर, यह तो धर्म नहीं,
अब सोचो विचारे राम से रावण निर्दयी नहीं.

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