दक्षिण भारत हिंदी प्रचार
राष्ट्रीय उन्नति एक ओर,
त्याग मय प्रचारक एक ओर.
जग में हमेशा स्वार्थ
निस्वार्थ का संग्राम.
आज केवल तमिलनाडु के हिंदी
प्रचारक. स्वेच्छा ये पढने वाले हिंदी प्रेमियों को
प्रमाण पत्र का लोभ दिखाकर
दस साल में ही प्रवीण.
यह तो आंकडे दिखाने की तरीका.
हिंदी के प्रति रुचि कैसे?
कारण समाज के संचार साधन
उसी को नायक बनाता है,
जो बदमाश, खूनी, बलात्कारी,
पुलिस के मारनेवला, लडकी वश सुधरनेवाला,
मैं सोचा यह कलियुग की बात.
पर छानबीन कर देखा तो
बदमाश ही लुटेरा ही वालमीकी बन
रामायण की ृृजन की.
तुलसी स्त्रीलोलुप
रामचरितमानस की रचना की.
वेश्यागमन ही अपने जीवन समझ चलनेवाला
अरुणगिरीनाथ ने तिरुप्पुकळ की रचना की.
क्रूर अशोक अशोक सम्राट महान बना.
विचित्र लगता है मुझे ईश्वर की लीला.
No comments:
Post a Comment