साहित्य बोध महाराष्ट्र इकाई को
एस. अनंतकृष्णन का नमस्ते वणक्कम।
विषय ---समयबद्धता जीवन में करिश्मा पैदा करती है।
विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।
समय घूमता चक्र है,
चलता रहना उसका गुण है,
आगे आगे जाना,
पीछे न मुडना,
उनका स्थाई सहज क्रमबद्ध जीवन।
अमूल्य समय बेकार ही चला जाता तो
पछताना ही मानव सिरोलेखा।।
मानव चंद सालों का मेहमान,
धरती माता का।
यम के हाथ में सदा नियंत्रित।।
यम की रस्सी गले में,
कब खींचेगा पता नहीं।
फाँसी पर चढ़ाने सन्नद्ध।,
पल में प्रलय होगा,
तब पछताने से लाभ नहीं।
अच्छे दिन चलेगा,तो
सर्वेश्वर भी वापस नहीं दे सकता।
कालांतर में शैशव,बचपन,लड़कपन, जवानी
प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था, बस शिथिलता मृत्यु।।
न ईश्वरीय अनुग्रह,न डाक्टर की बुद्धि
न धन दौलत, न पद अधिकार,पुण्य पाप
लोकप्रसिद्धता,लोकप्यार न रोक सकता समय गति।।
हर कोई अ…
[06:27, 23/01/2024] sanantha.50@gmail.com: हर किसी का मन
हर्षोल्लास में
यह न सोचता
यह सुख है अस्थाई।।
स्थाई सुख मानव जन्म में
किसी को भी नहीं।
राजा भी रंक भी
एक एक अपने अभावों को लेकर
रोता ही रहता है,
राम भी रोया,कृष्ण भी रोया।
शिव भी, लक्ष्मी पार्वती भी।
सरस्वती की कृपा प्राप्त
आत्मज्ञानी कभी न रोता,
उसके मन में अभेद तटस्थ।
न सुख न दुख
न जन्म मरण की चिंता।
एस. अनंत कृष्णन
नमस्ते वणक्कम
मानव में तनाव,दुख,काम,क्रोध,ईर्ष्या,अहंकार
तन प्र्धान,मन प्रधान,
लौकिकता प्रधान ये ही सामाजिक माध्यम ,
आत्मा प्रधान,परमात्मा प्रधान अति कम।
सोचो,समझो,ये सब नश्वर।यह दुनिया नश्वर ।
सर्वेश्वर और आत्मा की प्रधानता
शांति का संतोष का मार्ग जान।
No comments:
Post a Comment