Wednesday, February 7, 2024

खुशी पाने का तरीका धन नहीं।

 शीर्षक ---खुशी पाने का  तरीका धन नहीं।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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धन शैशव रोक नहीं सकता।

धन बचपन वापस दिला नहीं सकता।

धन बुढ़ापे को जवानी में 

परिवर्तन नहीं कर सकता।

धन अपनी वाँछित ज्ञान

 चित्रकला, संगीत कला,

वास्तुकला,

तकनीकी ज्ञान

 दे नहीं सकता।

 धन अल्पायु दीर्घ आयु

नहीं दे सकता।

श्वेत बाल को काले बाल में

बदल नहीं सकता।

 नपुंसक में पौरुष ला नहीं सकता।

धन पद के हिरण्यकश्यप से

अपने बेटे प्रहलाद को

अपने काबू में ला नहीं सका।

केवल आत्मज्ञान  ही

आत्मा ही

अचंचल मन ही,

परमात्मा के प्रति भक्ति ही

ध्यान ही,योग ही प्राणायाम ही

वास्तविक आनंद ब्रह्मानन्द

परमानंद दिला सकता है।

 धन सत्यवादी को दंड दिला सकता है।

 धन अपराधी को सांसद विधायक

बना सकता है।

 भ्रष्टाचारियों को दंड से बचा सकता है।

धन कम अंकवाले को उच्च शिक्षा में

 भर्ती करा सकता है।

 पर ईश्वरीय दंड 

मृत्यु से बचा नहीं सकता।

ईश्वरीय प्रेम, भक्ति ही 

 धन से बढ़कर आराम,सुख और चैन

 दे सकता है।

धन से ईश्वरीय सुख ही श्रेष्ठ है।

ईश्वरीय शक्ति ही

 मनुष्य को बुद्धिमान , बेवकूफ, बलवान

बना सकता है।

 यह राष्ट्र का उत्थान और पतन

धन अधिकार होशियारी से नहीं

ईश्वरीय  अनुग्रह से ही संभव है,

 धन से असंभव।

 धन,पद, लौकिक सुख भोग 

त्याग कर सिद्धार्थ चला।

बुद्ध बनकर  एशिया के ज्योती बना।

अर्द्ध नग्न फकीर बन

मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा बना।

स्वामी विवेकानंद ने धन को महत्व नहीं दिया।

विश्ववंद्य मार्गदर्शक बना।

एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

द्वारा स्वरचित कविता भावाभिव्यक्ति।

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