कवि संघ सुना है।
कवि संगोष्टि सुना है।
कवि संयम् ?
कैसा है?कैसा संभव!
आत्म नियंत्रण संभव ।
विचार नियंत्रण कैसे?
वायुवेग से मनो वेग तेज।
मन का नवाब। धन का अभाव।
मैं तो सम्राट का ग्रंथ पढता हूँ तो
थोडी देर सम्राट बनजाता हूँ।
चित्र पट देखता हूँ तो
नायिका के साथ नाचने की कल्पना में
डूब जाता हूँ।
प्राकृतिक दृश्यों में
ईश्वरीय चमत्कारों में
आध्यात्मिक चिंतन में
अपूर्व शक्ति पाकर काले धनियों के
धन छीन लोगों में बाँटने की कल्पना में
डूब जाता हूँ ।
भ्रष्टाचारियों को दंड देता हूँ।
न जाने ईश्वरीय शक्ति से संसार को
अपनी उँगली में नचाना चाहता हूँ ।
पता नहीं ,कल्पना के घोडे दौडानेवाले
कवि संयम कैसे?
दोस्ती बढाकर
अति प्यार से पूछता हूँ
कवि संयम कैसे ?!!!
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति कविता
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