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Sunday, July 26, 2015

देखो समझो करो उचित

अस्थिर संसार ,

परिवर्तन शील दुनिया

अशाश्वत   दुनिया
अशाश्वत जीवन
पहाड़ भी चूर्ण
बर्फ भी है पिघलते
नदी भी सूख जाती।
सोना तपने तपाने पर
होते परिवर्तन  मंद चमक
तेज़ चमक  होते।
परिवर्तन है सब कुछ जग में
पर  लोभी का दुःख नहीं होता परिवर्तन।
पापी के  दंड में नहीं परिवर्तन
अमीर या गरीब   की मृत्यु में नहीं परिवर्तन

ईश्वरीय  सजा और सृजन  में  न परिवर्तन।

देखो समझो करो उचित 

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