मैं हूँ कौन ?
सोचा पता नहीं ;
कैसा होगा मेरा जीवन ?
हिन्दी विरोध के समय
हिन्दी प्रचार में लगा तमिलनाडु में
.तभी 18 साल में हिन्दी अध्यापक की नियुक्ति ;
नौकरी मिली ;
सहपाठी सब बेकार ;
चकित रह गये;
कहते थे ; सुना हैं ;
मैं हूँ पी.यु.सि. मदुरै विश्वविद्यालय में;
बी.ए ; .दिल्ली विश्वविद्यालय में ;
एम.ये. वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय में ;
. तो बी.एड ; कामराज मदुरै विश्वविद्यालय में ;
एम.एड. हिमाचल प्रदेश में ;
सब के सब हिंदी माध्यम; पत्राचार।
हिन्दी माध्यम है सब ; बी. एड ;तमिल माध्यम।
उत्तर भारत गया ही नहीं ;
हिन्दी ने मुझे स्नातकोत्तर हिन्दी अध्यापक बनाया;
जहाँ अंग्रेज़ी पारंगत चांदी चम्मच श्री श्रीनिवास शास्त्री
प्रधानाध्यापक थे ,
वहाँ एक हिदी अध्यापक प्रधान अध्यापक बना
तो
ईश्वर तेरा मेरा सम्बंध सान्निध्य अधिक ;
मुझपर तेरी कृपा आत्मीय ;
तेरा मेरा सम्बंध आदर्श है ;
जग में तेरी लीला है अद्भुत.
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