Thursday, August 13, 2015

कारैक्कॉल अम्मैयार



कारैक्कॉल अम्मैयार   का असली नाम पुनितवती  है. 

उनके पिता धनन्दा   वैश्य  थे। 

बचपन से ही पुनीतवती शिव भक्ता थी. 

उनकी शादी परमदत्त नामक वैश्य से हुई। 

एक दिन परमदत्त ने दो आम घर को भेजे  थे। 

तब  एक  शिव भक्त आये. पुनीतवती ने एक आम दे दिया था.

दुपहर परदत्त   घर आये तो पहले एक आम खाया।  वह स्वादिष्ट था। 
दूसरी आम  की माँग  की थी. 

पुनीतवती ने  शिव की प्रार्थना की तो दूसरा फल मिला. 

परमदत्त को वह फल अमृत सामान  था. 

उनको संदेह हुआ.  पुनीतवती से पुछा तो उसने सारी घटना बताई. 

पति को पत्नी पर का विशवास टूट गया. 

पुनीतवती ने उनके सामने ही प्रार्थना की तो तीसरा  फल किसी ने दिया।

थोड़ी देर में फल गायब हो गया.

परम दत्त ने पत्नी को देवी माना। 

अपने रिश्तेदारों से भी यह बताई. 
परमदत्त शहर छोड़कर अपनी दूसरी पत्नी के यहाँ पांडिय देश चला गया। 


पुनीतवती ने भगवान  शिव से प्रार्थना की और अपने रूप को बूढ़ी  के  रूप में बदल दिया. 

वह शिव के   दर्शन  के लिए कैलाश निकली. 

कैलाश पवित्र स्थान  हैं।  अतः सिर  के बल पर कैलाश गयी. 
उनकी भक्ति से शिव और पार्वती भी  प्रसन्न हो गये. 
शिव ने पुनीत वति  से   वार मांगने के लिए   कहा  तो 
उसने  अपनी इच्छा प्रकट की  क़ि  मुझे आपके नाच निकट से देखना है. 
शिव ने कहा कि  तुम तिरुवेलंगाडु  जाओ वहाँ  मैं तुम्हारी कामना पूरी करूँगी। 

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पास है तिरुवेलंगाडु। 

पुनीतवती वहाँ  गयी। 
शिव  ने उसको शिव के  यशोगान गाने का वर  भी दिया. 
शिव   खुद  तिरुवेलंगाडु  आये और नाचने लगे. 

पुनीतवती का नाम कारैक्कॉल अम्मैयार  के नाम से प्रसिद्द हो गया। 


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