Friday, September 18, 2015

भगवान के कोप का पात्र हम बन जाएंगे !

ईश्वर की पूजा आराधना 
जग हित  और दान धर्म के लिए ;

आज कल  केवल दिखावे के लिए 

बाह्याडम्बर  से भरी भक्ति 
सोना -चांदी हीरे पन्नों की प्रधानता। 

दूध का अभिषेक गरीबों की भूख निवारण के लिए ;
आज कल  मोरे में बह  रहा है;

चेन्नई शहर में मात्र ३००० गणेश की बड़ी मूर्तियां 
औसत मूल्य ५००० /-
३०००*५००० =१५०००००० लाख रूपये 
अति सुन्दर मूर्तियां 
दस दिनों के बाद समुद्र विसर्जन।

ये रकम न राष्ट्र हित  में , न दीन  दुखियों के कल्याण में, न  उद्योग धंधों के विकास में ,
न शिक्षा के विकास में  न सनातन धर्म की प्रगति में। 
ज़रा सोचिये बाह्याडम्बर की भक्ति से  सब बेकार।

तनाव ;पुलिस न अन्य काम में [

अति सुन्दर मूर्ति की कारीगरी का अपमान। भगवान का छिन्न -भिन्न रूप..


सोचिये !भगवान का ऐसा अपमान आतंकित वातावरण  में धर्म की प्रगति नहीं।
 भगवान के कोप का पात्र हम बन जाएंगे !

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