Saturday, September 3, 2016

ॐ गणेशाय नमः

ॐ गणेशाय नमः ॐ विघ्न्विनायाका पादम नमस्ते. विघ्नेश चतुर्थी के लिए चेन्नई नगर में २५०० गणेश की मूर्तियाँ प्रतिष्ठा और विसर्जन की योज़ना है. हर शुभ कार्य के आरम्भ में विघ्नेश्वर पूजा करते हैं. सर्वत्र विराजमान गणेश सादगी और शक्ति में सर्व श्रेष्ठ हैं. अचानक मेरे सनातन धर्म में इतना बाह्याडम्बर , भय ,बेचैनी गणेश चतुर्थी के समय. हर साल बढ़ती जा रही हैं. जुलूस तो देखने में भक्ति से बाह्याडम्बर का महत्त्व दीख पड़ता है. चेन्नई में १९९० तक इतना बाह्याडम्बर , जुलुस विसर्जन न रहा. हिन्दू शक्ति प्रदर्शन का यह मार्ग कितना सफल होगा पता नहीं. हर पार्टी के नेता मुसलमान और ईसाई त्यौहार का जितना महत्त्व देते हैं , उतना हिन्दू त्यौहार में न देते हैं -ऐसी शिकायत आती रहती है. हिन्दू लोगों की संख्या ज्यादा होने पर भी राजनीती मुगलों और ईसाई के पक्ष में ही चलती है. कारण हिन्दू धर्म में एकता नहीं है; जातियों के भेद , सम्प्रदाय , ऊँच-नीच आदि

आजादी के सत्तर साल के बाद भी मिटे नहीं . हर साल अनुसूचित -सूचित पिछड़े जातियों की सूची बढ़ाना इस बयांन का प्रमाण है. आरक्षण की सुविधा मिलने हर जाति सम्प्रदाय आन्दोलन करते हैं. उनकी संख्या और शक्ति के आधार पर या ओट लेने सूची बढ़ाना राजनैतिक दलों के लिए अवाश्यक बन गया.
अब शिक्षा दिन बी दिन महंगी हो रही है .नतीजा किसान खेतों को बेचकर अपने बेटों को उच्च शिक्षा पढ़ाने में लगे हैं. हिन्दू लोग वास्तव में देश के कल्याण और धार्मिक एकता चाहते हैं और सनातन धर्म को मज़बूत बनाना चाहते हैं तो
भक्ति के आडम्बर पूर्ण खर्च कम करके सभी हिन्दुओं की मुफ्त शिक्षा प्रदान करना ही उत्तम है. २५०० मूर्तियाँ . एक मूर्ती ५०००/ औसत दाम हो तो १२५०००००/ रूपये .विसर्जन जल में. केवल चेन्नई नगर में मात्र. सारे तमिलनाडु अन्य प्रान्तों में तो हज़ारों करोड़. हिन्दू धार्मिक एकता और सब की शिक्षा के लिए करें तो समाज कल्याण भी होगा. देश की प्रगति भी होगी. भारत गरीब देश नहीं हैं . विदेशी आक्रमण व्यापार, लूट के बाद भी देश संसार के अमीर देशों में सातवाँ हैं. हिन्दू भाइयों सोचिये.
भगवान सबों को सद्बुद्धि दें और सुख भी. ॐ गणेशाय नमः .

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