ईश्वर का संकेत मान सकते हैं
.
ईश्वरीय रचनाएं समझना चाहिए
.
कैसे? समझ सकते हैं?
ईश्वरीय पैगाम जिसने दिया,
ईश्वरीय मार्ग अति सरल,
अति दुर्गम़:
सत्य पर दृढ हरिश्चंद्र
असह्य कष्ट सहे.
पैगंबर मुहम्मद को पत्थर से मारा.
ईसा मसीह को शूली पर चढ़ाया.
न जाने सब सच्चे अच्छे नेक लोग
दरिद्रता के गड्ढे में ही थे, हैं, होंगे.
पर आश्चर्य, इनकी प्रशंसा में,
इनके मंडप बनाने-बनवाने में
भ्रष्टाचारियों के अपना विशेष
धन -बल-पद- अधिकार.
सम्मान, खुशामदी, चाहक भीड.
उससे बडी भीड साधु संत
नंगे कौपीन
अर्द्ध नग्न स्वामियों के आगे-पीछे.
कबीर पंथ, तुलसीपंथ, सूर पंथ,
रमण महर्षी पंथ, अघोरी भक्त
अपनी अलग शक्ति विशेष .
कौन कैसे जान -समझ सकते हैं,
ईश्वरीय लीला क्रीडा.
एक ओर निर्दयी स्वार्थी ,
अत्याचारी , क्रूर, भ्रष्टाचारी ,
उनके चाहक धनी ,
स्वार्थी भ्रष्टाचारी.
दूसरी ओर न्याय के चाहक
गरीबी ,दरिद्री , शक्तिहीन ,
सत्पथ दिखाने वाले,
त्याग मार्ग दिखानेवाले ,
हास्य का पात्र ,
यह ईश्वर की लीला
ईश्वर निंदक या ईश्वर प्रशासक
.
ईश्वरीय रचनाएं समझना चाहिए
.
कैसे? समझ सकते हैं?
ईश्वरीय पैगाम जिसने दिया,
ईश्वरीय मार्ग अति सरल,
अति दुर्गम़:
सत्य पर दृढ हरिश्चंद्र
असह्य कष्ट सहे.
पैगंबर मुहम्मद को पत्थर से मारा.
ईसा मसीह को शूली पर चढ़ाया.
न जाने सब सच्चे अच्छे नेक लोग
दरिद्रता के गड्ढे में ही थे, हैं, होंगे.
पर आश्चर्य, इनकी प्रशंसा में,
इनके मंडप बनाने-बनवाने में
भ्रष्टाचारियों के अपना विशेष
धन -बल-पद- अधिकार.
सम्मान, खुशामदी, चाहक भीड.
उससे बडी भीड साधु संत
नंगे कौपीन
अर्द्ध नग्न स्वामियों के आगे-पीछे.
कबीर पंथ, तुलसीपंथ, सूर पंथ,
रमण महर्षी पंथ, अघोरी भक्त
अपनी अलग शक्ति विशेष .
कौन कैसे जान -समझ सकते हैं,
ईश्वरीय लीला क्रीडा.
एक ओर निर्दयी स्वार्थी ,
अत्याचारी , क्रूर, भ्रष्टाचारी ,
उनके चाहक धनी ,
स्वार्थी भ्रष्टाचारी.
दूसरी ओर न्याय के चाहक
गरीबी ,दरिद्री , शक्तिहीन ,
सत्पथ दिखाने वाले,
त्याग मार्ग दिखानेवाले ,
हास्य का पात्र ,
यह ईश्वर की लीला
ईश्वर निंदक या ईश्वर प्रशासक
सब ईश्वरीय क्रीडा,
समझ में नहीं आता.
समझ में नहीं आता.
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