Saturday, May 6, 2017

कैसे? समझ सकते हैं?

ईश्वर का संकेत मान सकते हैं
.

ईश्वरीय रचनाएं समझना चाहिए
.

कैसे? समझ सकते हैं?

ईश्वरीय पैगाम जिसने दिया,

ईश्वरीय मार्ग अति सरल,

अति दुर्गम़:

सत्य पर दृढ हरिश्चंद्र

असह्य कष्ट सहे.

पैगंबर मुहम्मद को पत्थर से मारा.

ईसा मसीह को शूली पर चढ़ाया.

न जाने सब सच्चे अच्छे नेक लोग

दरिद्रता के गड्ढे में ही थे, हैं, होंगे.

पर आश्चर्य, इनकी प्रशंसा में,

इनके मंडप बनाने-बनवाने में

भ्रष्टाचारियों के अपना विशेष

धन -बल-पद- अधिकार.

सम्मान, खुशामदी, चाहक भीड.

उससे बडी भीड साधु संत
नंगे कौपीन
अर्द्ध नग्न स्वामियों के आगे-पीछे.

कबीर पंथ, तुलसीपंथ, सूर पंथ,

रमण महर्षी पंथ, अघोरी भक्त

अपनी अलग शक्ति विशेष .

कौन कैसे जान -समझ सकते हैं,

ईश्वरीय लीला क्रीडा.

एक ओर निर्दयी स्वार्थी ,

अत्याचारी , क्रूर, भ्रष्टाचारी ,

उनके चाहक धनी ,

स्वार्थी भ्रष्टाचारी.

दूसरी ओर न्याय के चाहक

गरीबी ,दरिद्री , शक्तिहीन ,

सत्पथ दिखाने वाले,

त्याग मार्ग दिखानेवाले ,

हास्य का पात्र ,

यह ईश्वर की लीला

ईश्वर निंदक या ईश्वर प्रशासक
सब ईश्वरीय क्रीडा,

समझ में नहीं आता.

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