Sunday, June 11, 2017

व्यवहार

आज मेरे मन में निम्न वचन
 लिखने की प्रेरणा मिली।

ईश्वर को धन्यवाद ।
तेरी उन्नति तुझमें ,
जैसे शारीरिक विकास।
मेहनत, नेक सत्य , तीनों में है संतोष।

लौकिक इच्छा कम करो,
वही शांति का पथ।

अलौकिक अाध्यात्मिकता में है,
अनंत संतोष!!
जान लो सही पैमाने में ,
जग व्यवहार को।

जन्म फल मिलना हो तो,
दूर करो चाहों को।
भ्रष्टाचारी, काला धनी , रिश्वत खोरी ,
भोगते बाह्यानंद।
आंतरिक आनंद भजन में ,
जिससे मिलता ब्रह्मानंद।
विनाश काले विपरीत बुद्धि,
ग्ञानी ने कहा।
विकास काले अनुकूल बुद्धी,
ईश्वर की देन।।

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