Tuesday, April 16, 2024

विचार तरगें

[9:08 am, 15/04/2024] sanantha.50@gmail.com: नमस्ते वणक्कम्। साहित्य परिवार भारत को एस.अनंतकृष्णन का प्रणाम।। विषय --तमन्ना विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति। १५-४-२०२४. तमन्ना क्या है? आजकल के छात्र से पूछा तो कहा तमन्ना अभिनेत्री। बूढ़े से पूछा तो तमन्ना ? मेरी कामना स्वस्थ तन। ताज़े स्नातक से पूछा, नौकरी। युवति के पिता से पूछा बेटी की शादी योग्य वर से। शादी के बाद सुंदर बच्चे की तमन्ना। हर कोई की तमन्ना/ख्वाहिश/इच्छा/ उम्र के अनुसार बदलती है तमन्ना। भारतीय आध्यात्मिक जीवन तमन्ना रहित जीना। चाह गई चिंता मिटी, जानें कछु न चाहिए वही शाहँशाह।। इच्छा नहीं, ऊँची अभिलाषा आकांक्षा नहीं तो ज्ञान नहीं, जिज्ञासा नहीं तो खोज नहीं, क्रिया नहीं। लौकिक ख्वाहिशें अलक। अलौकिक ख्वाहिशें अलग। साहित्यकार की तम… [4:56 pm, 15/04/2024] sanantha.50@gmail.com: एस.अनंतक‌ष्णन का नमस्कार वणक्कम साहित्य मंच प्रकाश को। विषय --वन-उपवन। காடும் தோட்டமும். विधा --स्वच्छिक मौलिक रचना मौलिक विधा। 27-4-2022. ------------------ वन ईश्वर की सृष्टि। காடு கடவுளின் படைப்பு. उपवन मानव निर्मित। தோட்டம் மனிதன் படைத்தது. मानव ईश्वर निर्मित।। மனிதன் கடவுள் படைத்தது. मानवता मानव ज्ञान निर्मित। மனிதம் மனித ஞானம் படைத்தது. जन्म ईश्वर की देन। பிறப்பு கடவுள் அளித்தது. जीवन में जी और वन है। ஜீவன் ஜீ மனது வனம் காடு जी में सुविचार है तो. மனதில் நல்ல எண்ணங்கள் இருந்தால் मानव की जिंदगी उपवन। மனித வாழ்க்கை ஒரு தோட்டம். जी में मानवता है तो मानव श्रेष्ठ। மனதில் மனிதம் இருந்தால் மனிதன் மேன்மையானவன். जी में पशुत्व हो तो मानव अधम, மனதில் மிருக குணம் இருந்தால் மனிதன் அதமன்.தாழ்ந்தவன். पशु बराबर, भयंकर वन समान।। மிருகத்… [0:14 am, 16/04/2024] sanantha.50@gmail.com: एस. अनंत कृष्णन सेतु रामन का नमस्कार। साहित्य नव कुंभ साहित्य सेवा संस्थान को प्रणाम। चित्रलेखा। शीर्षक --जंग लगी ताला। विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति -------++---++++((+(( सुना उर्वरा भूमि सोना उगलती है, आश्चर्य जंग लगी ताला में अंकुर पनप रहा है। आज वैज्ञानिक युग में, छत पर गमलों में पेड़-पौधे खाली फैंके बोतल में भी। तब चतुर मानव आलसी न तो भीख नहीं माँगता। प्रकृति बहुत कुछ देती है हवा मुफ्त जीने के लिए। वर्षा मुफ्त। कृषी प्रधान भारत। बेकारी नहीं सोच समझकर बाग बगीचा उद्यान। जंग लगी ताला में पौधा। प्रेरित करती, प्रोत्साहन देती। मानव! खेती करो, भूमि बोतल भी बन सकता है। जंग लगी ताला भी। एस. अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति कविता। [0:16 am, 16/04/2024] sanantha.50@gmail.com: एस. अनंत कृष्णन सेतु रामन का नमस्कार। साहित्य नव कुंभ साहित्य सेवा संस्थान को प्रणाम। चित्रलेखा। शीर्षक --जंग लगी ताला। विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति -------++---++++((+(( सुना उर्वरा भूमि सोना उगलती है, आश्चर्य जंग लगी ताला में अंकुर पनप रहा है। आज वैज्ञानिक युग में, छत पर गमलों में पेड़-पौधे खाली फैंके बोतल में भी। तब चतुर मानव आलसी न तो भीख नहीं माँगता। प्रकृति बहुत कुछ देती है हवा मुफ्त जीने के लिए। वर्षा मुफ्त। कृषी प्रधान भारत। बेकारी नहीं सोच समझकर बाग बगीचा उद्यान। जंग लगी ताला में पौधा। प्रेरित करती, प्रोत्साहन देती। मानव! खेती करो, भूमि बोतल भी बन सकता है। जंग लगी ताला भी। एस. अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति कविता। [0:17 am, 16/04/2024] sanantha.50@gmail.com: नमस्ते वणक्कम्। साहित्य परिवार भारत को एस.अनंतकृष्णन का प्रणाम।। विषय --तमन्ना विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति। १५-४-२०२४. तमन्ना क्या है? आजकल के छात्र से पूछा तो कहा तमन्ना अभिनेत्री। बूढ़े से पूछा तो तमन्ना ? मेरी कामना स्वस्थ तन। ताज़े स्नातक से पूछा, नौकरी। युवति के पिता से पूछा बेटी की शादी योग्य वर से। शादी के बाद सुंदर बच्चे की तमन्ना। हर कोई की तमन्ना/ख्वाहिश/इच्छा/ उम्र के अनुसार बदलती है तमन्ना। भारतीय आध्यात्मिक जीवन तमन्ना रहित जीना। चाह गई चिंता मिटी, जानें कछु न चाहिए वही शाहँशाह।। इच्छा नहीं, ऊँची अभिलाषा आकांक्षा नहीं तो ज्ञान नहीं, जिज्ञासा नहीं तो खोज नहीं, क्रिया नहीं। लौकिक ख्वाहिशें अलक। अलौकिक ख्वाहिशें अलग। साहित्यकार की तमन्ना अलग। वैज्ञानिकों की तमन्ना अलग। तमन्ना विविध।। सर्वे जना सुखिनो भवंतु। वसुधैव कुटुंबकम् जय जगत। सत्यमेव जयते भारतीय तमन्ना जागते कल्याण। जगतोद्धार। एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति कविता ।

No comments:

Post a Comment