Tuesday, April 16, 2024
विचार तरंगें
लिखा है हिंदी में,
लिखूँगा हिंदी में
लिख रहा हूँ हिंदी में।
अनिवार्य दोहा
लिखने के प्रयत्न
फिर भी राय दोहे की विधा नहीं।
कोशिश करके छोड़ दिया।
कवि बनना ईश्वरीय वरदान।
विधा है
अपनी भाषा अपनी हिंदी अपने विचार
अपनी शैली भावभिव्यकति।
छंद बंद रखना,
विचारों की धारा मैं बाँध बनाना।
दोहे लिखना आसान।
पर न १३,११ मात्राएँ
सही नहीं बैठता।
अनिवार्य दोहा शैली।
प्राचीनता की रक्षा।
न पैदल चलतै हैं,
न घुड सवार,
न बैलगाड़ी
न घोड़ा गाड़ी
न पैर गाड़ी
न हिंदी भारतीय माध्यम पाठशालाएँ
न गुरु कुल, न चोटी न धोती।
न राजतंत्र न दीवान।
लोकतंत्र न ईमानदारी
भ्रष्टाचारी अपराधी ३०% सांसद विधायक।
२०% विपक्षी दल,१०% गिरगिट दल
२०%प्रधान दल
मतदाता में ३०% मत नहीं देते७०% में
पैसे लेकर खोट देने वाले।
अपने दल के नेता
अपराध करें फिर भु समर्थन।
देश की चिंता सच्चे सेवक है
ईश्वरीय शक्ति है
पर पुरानों में आसुरी शक्तियों के शासन।
देशद्रोही इधर उधर
फिर देशोन्नति।
इस आध्यात्मिक शक्ति
ईश्वर की सूक्ष्म लीला।
साहित्य में भी
सुधार दोहा कबीर की भाषा
तुलसी अवधि , सूर व्रज
विद्यापति मैथिली।
आज खड़ी है खड़ी बोली।
स्वतंत्रता से लिखने देना
तभी भाषा का विकास।
न मैं गिनता मात्राएँ
अपने मनका भाव अभिव्यक्ति।
इसको भी चाहती जनता।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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