Saturday, May 30, 2015

सच है साहित्य समाज का है दर्पण।

देश में    न्याय  -अन्याय   दोनों में

न्याय कम   और  अन्याय   अधिक।

बलात्कार -बालापराध  अधिक।

अवैध सम्बन्ध और हत्या  अधिक।

पुलिस नालायक  /मंत्री भ्रष्टाचारी
सरकारी अधिकारी रिश्वतखोरी।

बदमाश आवारा बनता नायक

मारता   है  पुलिस  को ,
अनपढ़ नायक  के पीछे
नायिका पागल.
वही अमीर ,मनमाना करनेवाला हीरो
जो करता है स्मगलिंग। कालेधन /और कालाबाज़ारी /मालामाल.

यही  है कहानी  चित्र पट  की।

सच है साहित्य समाज  का है दर्पण।


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