हमारे मनुष्य जीवन में ही नहीं ,
वनस्पति जगत में ,
पशु- पक्षी के जीवन में
स्त्री-पुरुष का शारीरिक संबध और सम्भोग प्रधान है.
पर संयम की जरूरत हैं .
हमारे पूर्वज तो ज्ञानी हैं .
ब्रह्मचर्य के महत्त्व के साथ -साथ
दाम्पत्य जीवन को प्रधान माना.
विदेशी धार्मिक ने पुछा --
मंदिरों में क्यों सम्भोग सम्बन्धी
शिल्प.
ईसा के कई हज़ार पुराने सनातन धर्म में
देव-देवी पति-पत्नी के रूप में ही है.
पार्वती -परमेश्वर, अर्द्धनारी रूप.
विष्णु , श्री कृष्ण के द्वि -पत्नियाँ
ब्रह्मा -सरस्वती.
वनस्पति जगत में ,
पशु- पक्षी के जीवन में
स्त्री-पुरुष का शारीरिक संबध और सम्भोग प्रधान है.
पर संयम की जरूरत हैं .
हमारे पूर्वज तो ज्ञानी हैं .
ब्रह्मचर्य के महत्त्व के साथ -साथ
दाम्पत्य जीवन को प्रधान माना.
विदेशी धार्मिक ने पुछा --
मंदिरों में क्यों सम्भोग सम्बन्धी
शिल्प.
ईसा के कई हज़ार पुराने सनातन धर्म में
देव-देवी पति-पत्नी के रूप में ही है.
पार्वती -परमेश्वर, अर्द्धनारी रूप.
विष्णु , श्री कृष्ण के द्वि -पत्नियाँ
ब्रह्मा -सरस्वती.
ऋषि-ऋषि पत्नी.
तेरह साल की कम उम्र में शादी.
उन बच्चों को दाम्पत्य जीवन में प्रेरित करने,
सेक्स शिक्षा का आज कल का जो बोलबाला है
प्राचीन काल में हमारे भारत देश में ही शुरू हुआ है.
दशरत के तीन रानियाँ ,
कुंती के मंत्रोच्चारण के पति गण
राजाओं के अन्तः पुर में रानियों की संख्या बढना
ये इतिहास के बुरे मार्ग से बचाने
रामायण में एक पत्नी व्रत.
व्यवहार में कृष्ण का जितना लोक रंचक रूप है,
उसका जितना लोकार्षण है , उतना राम का नहीं.
वर वधु देखने के सम्प्रदाय में कृष्ण के गीत ही गाते हैं.
पचास साल में भारत में स्त्री -पुरुष एक साथ बैठने पर
बुढापे में देखो, कैसे अश्लील बैठे हैं .
बुढ़ापे में पति -पत्नी के स्पर्श काफी है.
शक्ति मिलेगी.
आलिंगन , चुम्बन विटामीन का काम करेगा.
तनाव , पैर दर्द , गुत्नों के जोड़ दर्द दूर करने
दूर -दूर शयन न करके , अति निकट स्पर्श -नींद सोना
तनाव कम कर देगा.
तनाव कम कर देगा.
मंदिरों के प्रकार में तो अश्लीलता ,
फिर गर्भ-ग्रह की मूर्ती में अलौकिकता.
लौकिकता में आत्म नियंत्रण के लिए
अलौकिक शक्ति को प्रधान देते हैं.
माया- भरी संसार से बचकर दिव्य-शक्ति लाने
मंदिर के गोपुर और स्तंभों में सम्भोग की सीख.
गर्भ -ग्रह में अनुशासन दिव्य शक्ति , ध्यान , संयम आदि.
बुजुर्ग दम्पतियों को भी साथ सोना , स्पर्श, आलिंगन आदी
आवश्यक है. तभी स्वस्थ तन ,मन रहेगा.
मंदिरों में देवदासी प्रथा भी थी. इसे आम महिला कहते थे.
माया महा ठगिनी है, पर सम्भोग तो प्राकृतिक है.
उसे रोकने से ही तनाव बढ़ रहा है बुढापे में.
यदि स्वर्ग है तो नारी उर के भीतर.
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