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Tuesday, February 14, 2017

मनुष्य का वास्तविक बल

मनुष्य के सबसे बढिया
बल बुद्धिबल.
क्या इसमें मिली है सफलता?
धनबल ?
धन बल से तो हम चैन पाते हैं ?
वीर /शारीरिक बल ?
सोचो ,
तीनों बलों के होने पर भी
 संतुष्ट व्यक्ति या कमी रहित व्यक्ति 
100% सुखी हैं 
कोई इस संसार में?
अभाव रहित भाव ही
 भव में प्रधान.
आदी काल से आधुनिक काल तक
प्रगती तीनों बलो में हुई है
फिर भी क्या मनुष्य है भय रहित ?
अंतिम दिन में मरने के लिये
लोग आत्म वेदना लेकर ही तडपते हैं .
अंत में सबको यही मानना बढ़ता है
" सबहीं नचावत रामगोसाई" .
जग में वैदिक ग्रंथ ,क़ुरान , बाइबिल जैसे
आध्यात्मिक के ग्रंथ ही
मनुष्यों को शान्ति प्रद , संतोष प्राण ,ब्रह्मानंद प्रद.
दिव्य शक्ति के ध्यान ,योग ,प्रार्थना , जप -तप आदि ही
मनुष्य को देती शान्ति,
दया,
संयम ,
परोपकार और मनुष्यता के आदर्श गुण.

पर शैतानियत /माया
 मनुष्य को लोहे और चुम्बक समान चिपककर
बिगाड़ देती मनुष्य मन.
बचने /सुरक्षित शान्ति पाने
 प्रार्थना के सिवा ,
ईश्वर की कृपा के सिवा
और कुछ नहीं अगजग में. 

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