Thursday, July 11, 2024

भरोसा

 नमस्ते वणक्कम् साहित्य बोध।

विषय  भरोसा सबको करो पर दूसरे के भरोसे पर मत रहो।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

        अपनी शैली भावाभिव्यक्ति 

       मौलिक कविता स्वतंत्र शैली।


 जीवन भरोसे पर,

माँ -,बाप के भरोसे पर बचपन।

 पति पत्नी के अन्यान्य

 आश्रित भरोसे पर जवानी।

भगवान के भरोसे पर स्वास्थ्य ,आमदनी।

 भरोसा कैसे आजकल।

 कृष्ण के भरोसे पर पांडव।

 युद्ध के अंत में कलंकित है,

   भरोसा धर्म पर, दान पर, कृतज्ञता दिखाने पर

   फिर भी कर्ण माँ से वंचित।।

   अर्जुन भीम  धोखा देकर बने विजेता।।

  धर्म का भरोसा कैसे रखें।

 भरोसा रखो भगवान पर,

 फिर भी अपने को पहचान कर 

 अपने आप पर विश्वास रखो।

 सत्य को पहचानो,

 सत्य को अपनाओ।

 सत्य मार्ग पर चलो।

हरिश्चंद्र कथा याद रखो।

 कटु सत्य भला नहीं 

 इस तथ्य पर भी विचार करो।

 अपने पैरों पर खड़े रहो।

 अपने को पहचानो, अपनी क्षमता जानो।

 अपने आप पर भरोसा रखो।

 एस.अनंतकृष्णन द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति मौलिक कविता  स्वतंत्र विचारक।

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