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Tuesday, July 23, 2024

सुख-दुख

  खूबसूरत जिंदगी के लिए सुख -दुख दोनों ज़रूरी है।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति स्वतंत्र।
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सुख-दुख के बिना हमारा जन्म कैसे?
जन्म लेते ही रोना है,
नहीं तो डाक्टर होते परेशानी।
प्रसव दर्द से बढ़कर न कोई दर्द।
शिशु के आते ही अतुलित हर्ष।
धूप नहीं तो छाया का महत्व कैसे?
ठंड न पड़ें तो गर्मियों का सुख कैसे?
ठंडी मलय पवन का आनंद।
मौसमी फूल फल के मोह,
पतझड़ के अनुभव के बाद।।
सैनिकों को सरहद में बर्फीले में
हम चैन की नींद वातानुकूलित कमरे में।
स्वास्थ्य का सुख अस्वस्थ में अनुभव।
कदम कदम पर सुख,
कदम कदम पर दुख।
अंधेरे दुख प्रकाश में आनंद।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति कविता मौलिक स्वतंत्र शैली

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