जीवन का उद्देश्य
एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु
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मानव अबोध शिशु के रूप में जन्म लेता है।
बचपन में समाज को देखता है।
विविध प्रकार के
व्यक्तित्व वाले
लोकप्रिय लोगों को देखता है।
मानव मानव में उद्देश्य बदलता है।
यह उद्देश्य भगवान की देन है,
उद्देश्य तक पहुंचने की क्षमता और सफलता
भगवान की देन हैं।
पता नहीं हर मानव के
उद्देश्यों में अंतर क्यों?
एक नेता बनना चाहता है,
कोई पुलिस बनना चाहता है,
कोई वीर सैनिक बनना चाहता है।
कोई डॉक्टर तो कोई इंजनीयर।
अंग प्रत्यंग उपांग कैसे होते
मानव बुद्धि के पार।
मंजिल तक पहुंचने का निष्ठा, कौशल , सफलता ईश्वर की देन।।
निरुद्देश्य भिखारी
पेट भरने गाता है,
मधुर स्वर उसका भाग्य चमकता है।
अभिनेता को अभिनय की क्षमता,
भगवान की देन।
दिल में उद्देश्य कैसे आया पता नहीं।
किसी का उद्देश्य कवि बनने का,पर स्वर में माधुर्य नहीं,
उद्देश्य तक पहुंचने की क्षमता जन्मजात होती हैं।
मेरा उद्देश्य कुछ नहीं,
हिंदी विरोध वातावरण में
हिंदी की नौकरी मिली।
मेरा उद्देश्य भगवान की देन।
मेरी क्षमता और भाग्य
हिंदी से अपने दायरे में चमकी।
गणितज्ञ रामानुजन
अपने उद्देश्य पर लगा।
पर लेखापाल की नौकरी।
पर अपने उद्देश्य पर डटा रहा।
अचानक अंग्रेज़ी गणितज्ञ की नज़र रामानुजन के
गणित नोट बुक पर पड़ गई।
रामानुजन गणितज्ञ बने।
निरुद्देश्य घूमने वाले को
अपना एक उद्देश्य बनता है।
हर मानव के मन में
उद्देश्य अलग अलग-अलग।
प्रयत्न में सफलता ईश्वर की देन।
मानव जीवन में अनुकूल हवा ,
ईश्वर की देन।
तब उद्देश्य जगता है,
प्रेरणा मिलती है,
उद्देश्य की कामयाबी लगन में।
लग्न जन्मजात गुण।
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