गजवदन!गणपति !शिव सुत!
संकट हर!सर्व व्यापी!पीपल तले वासी !
सकल कार्य के श्री गणेश के मूल -मन्त्र !
श्री गणेश के चरण में शरणार्थी हूँ मैं.
आज धरा स्वर्ग तुल्य , तेरी कृपा कटाक्ष से.
पर एक बात से खटकता दिल.
तू ने बनाया कर्म फल के अनुसार ,
क्षम -सक्षम अति क्षम अतिसय लोगों को ,
तू ने सृष्टी की है रूप -कुरूप गुणी -अवगुणी लोगों को.
इनमें तो जग में जन्मे लोगों की भूल नहीं,
तूने सुखी लोगों के कार्य का महत्त्व दिया; पर
अति आकर्षक अश्लीलता माया की सृष्टि तू ने की;
उनसे बचने के ज्ञान से फंसाने के काम में तू तो क्षमता दी.
तेरे चरणों में यही प्रार्थना ,माया से बचने का सुज्ञान देना.
हम भी जी सके भ्रष्टाचार पाप रहित जीवन. .