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Sunday, June 19, 2016

वंदना

विष्णुप्रिय| हूँ। विष्णु दास हूँ।
विधि की विडंबना से बचना चाहतै हो
विख्यात विष्णु की पूजा में लग जाओ।
विनाश| काले  विपरीत बुद्धी  से बचना हो तो
विघ्नेश्वर के चरण पकडकर आगे बढो।
नचाने वाले हैं भगवान।
नाचनेवाले हैं हम।
सूत्रधारी हैं वे सुख- दुख उनके हाथ।
कामना करो पूरी होगी मनोनुकूल कामनाएँ

अग जग में  नाम मिलेगा,  दाम  मिलेगा।
विट्टल का नाम जपो , सकल ऐश्वर्य पाओ।

Friday, June 17, 2016

जागो !सोचो!

देश   की बड़ी बड़ी  समस्याएं   हैं बढी .
एक  और  ऐ.एस. पाक  झंडे  अलगवादी  का फहरा ;
सुरक्षा  प्रधान  देश में अशांति  का  आतंक.
चीन  तैयार  सीमा  खतरे में .
इन  सब  से  अब  देश  की चिंता महंगाई  पर.
कहा  है  पूर्वजों  ने सोच समझकर  छानबीन  करके
मौसामी फल -मौसामी सब्जी  स्वास्थ्य  के  लिए  अच्छी.
सोचो ! देश की गंभीर  बातें !
काले  धन  की समस्या , भ्रष्टाचारी की समस्या , नशीली चीजों की समस्या .
खाओ सस्ती चीज़े ! मरोगे  नहीं .
जागो ! सोचो ! देशोन्नती  बातें.
जागरण  नहीं तो स्नातक -स्नातकोत्तर  की उपाधियाँ  व्यर्थ.

Wednesday, June 15, 2016

विष्णु दशावतार

விஷ்ணு ---௧௫.௬.௧௬ --15.6.16
17 mins
विश्व वन्द्य विष्णु, तू जगन्नाथ हो.
तेरे अवतार ,प्रथम मछली में तड़प.
राक्षस से छिपी वेदों को समुद्र से निकाल.
कूर्म में भी सागर मंथन में सहायक.
दिखा दिया जल मय संसार.
मोहिनी अवतार,शिव की रक्षा.
सम लिन्ग शादी,प्रथम सूचना.
स्वामी अय्यप्पन का जन्म.
ऐयप्पन शिवपुत्र होतो कार्तिक की
सोतेली माँ बनी मामा-चाची.
वराहावतार में भूमि की खोद.
हिरण्याक्ष वध. समुद्र केअधीन
भूमि कापाताल कीसूचना.
नरसिम्हावातर में प्रहलादकीरक्षा,
अत्याचार का वध सिंह जैसे खूंख्न्वार से
वामनावतार हुआ देव औरदेवेन्द्र कीरक्षा
धोखे से माहाबलीका पातालभेजना.
छद्म वेश षडयंत्र का कदम.
परशुराम बन असुर क्षत्रियराजाओं का वध,
रामावतार में दिखाया बलात्कारी का वध
मानव से नहीं होगा ईश्वरीय शक्ति से .
उन्हीं के भाई के द्रोह से.दिखाया
मर्यादापुरुषोत्तम का महत्ता.
कृष्ण अवतार लोकरक्षक-लोक-रंचक.
लोकप्रिय अवतार खासकर तरंगित हैं ,
लडकियाँ, अपने नए वर से मिलने आने पर
यही गाती, मन में लहरें उठती--"कन्हैया .
होनेवाला कल्कि अवतार युगांत में.
हे दशावतार! करो जगत की रक्षा!
हम हैं विष्णु प्रिय!! करो हिंदी प्रेमी समुदाय की.
देना प्राथमिकता! इतना स्वार्थ हम नहीं,
करना जगत भलाई.

Tuesday, June 14, 2016

नेत्रदान करो।

नेत्र दान कीजिये . क्यों ?

आँखें बोलती हैं अनेक बातें,

आँखे दिखाने पर क्रोध है तो

आँखें मारने पर प्रेम.

आँखें रोने पर दुःख ,शोक , करुणा .

आँखों से पता चलता है ,

आदमी की अमीरी, गरीबी , आनंद-उल्लास.

आँखें बोलती हैं करुण कथा.

आँखें देखते ही पता चलता मनुष्य की दशा.

नेत्र विहीनों को सोचो,

न जान सकता फूलों के रंग.

न जान सकता फूलों के आकार शोभा.

देखते ही पता न लगता आदमी किस मजहब का,

किस देश का , किस सम्रदाय का.

टेढ़े मेढ़े रास्ते पर चलना है मुश्किल.

सोचो विचारों उसकी दयनीय दशा.

तुरत दर्ज करो नेत्रदान के लिए.

आँखें तब तक , जब आँखें सदा के लिए बंद न हो.

सोचो- विचारों नेत्र दान करो.

Wednesday, June 8, 2016

मन की एकाग्रता

जिंदगी में सिखी कौन ?
धनी ? निर्धनी?स्वस्थ और स्वस्थ मन वाले?
धनी चिंतित अपने धन बढानै !
निर्धनी चिंतित अपने पेट भरने।
धनि चिंतित  नव सभ्य के अनुसार
पोशाक पहनने, वाहन बदलने।
निर्धन चिंतित  तन ढकने,  वाहन देखने।
धनी निर्दयी वाहन पर तेज चलता
निर्धनी धनी की दुर्घटना में मदद करता।
धनी के आलीशान मकान  निर्धनी के परिश्रम से।
पेट भरने मामूली पोशाक से संतुष्ट  निर्धनी।
अपच पौष्टिक संतुलित भोजन के धनी
न उठा सकता बोझ। न चल सकता चार कदम।
न  चैन की नींद।  हमेशा अमीरी चिंतन।
गौरव -सम्मान का चिंतन।
   स्वस्थ तन - मन  व्यक्ति को न चिंता।
चंचल मन वाले होते अधीर।
उनका मन न घर का न घाट का।
  मन की एकाग्रता उनकी होती
जो स्वस्थ हो, देव पुरुष हो।
अतः  मन की स्वस्थता  ध्यान पर निर्भर।
सिद्धार्थ  ,महावीर राजसुखों से दुखी,
ईश्वर  की तलाश में सुखी।
राजा हो तो सीमित कीरती।
बुद्ध बने  ,जैन बने बने विश्व वंद्य  गुरु।
राजसुख से ईश्वरीय सुख श्रेष्ठ।
भोग में सुख नहीं है, त्याग में ही है सुख।
सोचो, हमारे पूर्वज  , र्रिषि मुनियों को सम्मान देते।
वे रहते जंगलों की कुटिरों में।
राम को शांति नहीं, पर शांत थे मुनि - संन्यास ।
पूरवजों का मार्ग त्याग,वही सनातन मार्ग।
भोग का मार्ग अंग्रेज - अंग्रेजी शिक्षा।
स्नातक  - स्नातकोत्तर दंपतियों में है,
तलाक, मन मुटाव, असहन शीलता।
सोचो,समझो,  मन की स्वस्थता
दान -धर्म  - त्याग पर दो ध्यान ।।

प्यार

प्यार की गली  अति संकरी कहा किसी ने
ऐरे गैरै नत्थू गैरे नहीं ,
वाणी के सर्वाधिकारी  कबीर| ने।
प्रेम  चित्त की चिर समाधी।
गर्म राख की ढेरी।
पानी बरसने पर थमेगा नहीं,
हवा बहने पर भभक उठेगा।

Sunday, June 5, 2016

ईमानदारी

हमें जमाने के  साथ चलना है।
हमें  समाज के साथ चलना है।
हमें  समय के साथ चलना है।
हमें दोस्ती निभाना है।
हमें रिश्ता  निभाना है।
हमें सत्य पथ पर चलना है।
हमें  ईमानदारी निभाना है।
हमें कर्तव्य करना  है।
अपने देश ,अपनी भाषा  से प्यार करना है।
कया हम कह सकते हैं भ्रष्टाचारी करो।
रिश्वत लो। असत्य बोलो।
अन्याय करो। अनियायी भी नहीं कहेगा।
अत्याचार  करो। अत्याचारी भी नहीं कहेगा।
खून करो खूनी भी नहीं कहेगा।
इसीलिए नश्वर संसार भी अनश्वर है।
पापी दनिया में पुण्य बचा  है।
प्रदूषण  में  सफाई| है।
नमक| का दारोगा श्री मुंशी प्रेमचंद की कहानी है।
पिताजी नैकरी की तलाश में है।
पिताजी समझाते  हैं--
मासिक वेतन पूर्णिमा  का चाँद है। ऐसी नोकरी ढूँढो
जिस में ऊपरी आमदनी मिलें।
दारोगा पद  मिलता है।  असत्य के पक्ष में वकीलों का तांता है। अराधी छूट जाता है।
न्याय को दंड। फिर  वह काले व्यापारी
दारोगा से मीलता है । अपनी सारी संपत्ती का स्थाई मैनैजर की नियक्ति। अपनी संपत्ति  भलै ही अन्याय की कमाई हो सुरक्षा  के लिए ईमानदार कर्तव्य निष्ठ  आदमी ही चाहता है।
इसलिए सत्य और धर्म मार्ग की बधाइयाँ। ।