प्यार की गली अति संकरी कहा किसी ने ऐरे गैरै नत्थू गैरे नहीं , वाणी के सर्वाधिकारी कबीर| ने। प्रेम चित्त की चिर समाधी। गर्म राख की ढेरी। पानी बरसने पर थमेगा नहीं, हवा बहने पर भभक उठेगा।
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