शूल शिष्य सुरेंद्र 'जीतू' माँगी मित्रता मानी।
शुक्रिया शूल 'शूल' शिष्य सुरेन्द्र 'जीतू'।
त्रीशूल , कटी बाघ वस्त्र, हाथ में डमरु , हिरण।
सर्पाभूषण वह देव , भक्तवत्सल वह जान।
शिव ,शिव बोल, शिखर पर पहुँच।
चिंता छोड, चित्त में जप , शिव ,शिव ।
वर मिलेगा मन चाहा, तरंगें संतोश , शांति की
उठेंगी जान। बोल ओम नमः शिवाय ।शिवाय नमः ।।
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