हाथ जोड आँखें बंद प्रार्थना ।
पद्मासन बैठ हस्त मुद्रा रख प्रार्थना।
घुटने टेक आँखें मूंद इबादत। वंदनन।।
मनुष्य अपने वैवाहिक, सामाजिक, राष्ट्रीय
बंधन में नाम पाने,नोकरी पाने , धन पाने,
योग्य वर,वधु पाने, संतान पाने,
प्रार्थना ही प्रार्थना। यह तो स्वार्थ।
ऐसी प्रार्थना चाहिए ,जिससे
भ्रष्ट , निर्दयी , बलातकारी, रिश्वतखोरियों को
मिले दंड।
क्या ईश्वर सुनेंगे ? सुनेंगे नहीं। कभी नहीं।
ये भ्रष्टाचारी नहीं तो मंदिर वातानुकूल नहीं बनता।
हुंडी नहीं भरता। रेशमी साडियाँ डाल ,
घी के घडे उंडेलकर बाह्याडंबर का यग्ञ -हवन नहीं।
लक्षारचन - कोटियार्चन नहीं चलता।
हीरे जडित स्वर्ण मुकुट नहीं मिलता।
जेल से बचने करता है यग्ञ।
चुनाव जीतने यग्ञ।
खुद आश्वर भ्रष्ट बन गये।
प्रेम के चक्र में खुद लडे युद्ध।
अतः भ्रष्टाचार दूर करने
ईश्वर प्रार्थना व्यर्थ। व्यर्थ।।
Monday, June 27, 2016
व्यर्थ व्यर्खव
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