इश्क की शायरी गाते हैे सब।
राजनीती में प्रमख की कहानियाँ
राजा की कहानियाँ सब के सब इश्क भरी।
अब मंच तक चूमने की कला आ गयी।
मुख्य मंत्री को खुली जगह में चूमना
आज ताजी खबर हो गई।
चुंबन , आलिंगन ,प्यार भारत| में
आधी रात का खेल।
अंग्रेजी इतनी शिक्षा दे रही है,
खुली जगह| में पशु - सा
चूमने की क्रांति शुरु हो गयी।
मुख्य मंत्री को चूमना , मंत्री का मंद हास ,
लोकप्रिय हो गई।
पढे - लिखे स्नातक, स्नातकोत्तर,
तकनिकी कोमल अभियंता,
इतनेी शिष्टता सीखकर आ गये,
सुद्रतट पर, सार्वजनिक बाग ,
जहाँ जरा उनके मन में एकांत सूझती,
भीड की नजरों की किरणों पर न पडती
पशु - सा , गली के कुत्तों सा व्यवहार।
धोबी की बात न सहा गया राम।
पर चार की पतनी मंत्री की पत्नी
मर गई पता नहीं आत्म हत्या या हत्या।
पशु - सा इश्क व्यवहार गाँवों में नहीं खुलता ,
शहरों में तो मुखंय मंत्री के मंच तक आ गया।
साहित्य में आगे इश्क का संयम सिखाना।
रोज खबरे यवतियों की हत्या - बलात्कार।
आ| सेतु हिमाचल विश्व विद्यालय तो बढ गये।
स्नातक , स्नातकोत्तर बढ गये पर
बद् चलन बद्मासी भी बढ गई।
शिक्षा संस्थानों में जेएनयू सा
अनुशासन भगाया गया।
राष्ट्रीयता हो रही है भंग।
असंयमी कर रही तंग।
Monday, June 27, 2016
इश्क
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