Monday, June 27, 2016

इश्क

इश्क की शायरी गाते हैे सब।
राजनीती  में प्रमख  की कहानियाँ
राजा की कहानियाँ सब के सब इश्क भरी।
अब मंच तक चूमने की कला आ गयी।
मुख्य मंत्री को खुली जगह में चूमना
आज ताजी खबर हो  गई।
चुंबन , आलिंगन ,प्यार भारत| में
आधी रात का  खेल।
अंग्रेजी इतनी शिक्षा दे रही  है,
खुली जगह| में पशु - सा
चूमने की क्रांति शुरु हो गयी।
मुख्य मंत्री  को चूमना , मंत्री  का मंद हास ,
लोकप्रिय हो गई।
पढे - लिखे  स्नातक, स्नातकोत्तर,
तकनिकी   कोमल अभियंता,
इतनेी शिष्टता सीखकर आ गये,
सुद्रतट पर, सार्वजनिक बाग ,
जहाँ जरा  उनके मन में एकांत सूझती,
भीड  की नजरों की किरणों पर  न पडती
पशु -  सा , गली  के  कुत्तों  सा व्यवहार।
धोबी की बात न सहा  गया राम।
पर    चार की पतनी   मंत्री की पत्नी
मर गई पता  नहीं  आत्म हत्या  या  हत्या।
पशु - सा  इश्क व्यवहार गाँवों में नहीं खुलता ,
शहरों में तो मुखंय मंत्री  के  मंच तक आ गया।
  साहित्य में   आगे  इश्क का संयम सिखाना।
रोज खबरे यवतियों की हत्या - बलात्कार।
आ| सेतु हिमाचल  विश्व विद्यालय तो बढ गये।
स्नातक , स्नातकोत्तर बढ  गये पर
बद् चलन  बद्मासी भी  बढ गई।
शिक्षा संस्थानों में जेएनयू सा 
अनुशासन भगाया  गया।
राष्ट्रीयता हो रही  है भंग।
असंयमी कर रही तंग।

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