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Tuesday, June 28, 2016

सोचो

विस्तृत   हिन्दु धर्म,
वट वृक्ष , कई  ठगों को जीने का आधार।
अपराध करो, दाडी रखो, भजन करो।
मंदिर बनाओ। बनवाओ।
मंदिर के बाहर मनमाना दूकान खोलो।
दूकानों की भीड, ठगे जाने पर भक्ति भंग।
त्रिगंबेश्वर   गया, रुद्राक्ष नकली।
स्थानीय पुलिस ,अधिकारी सब| को मालूम।
कोई| रोकता नहीं,कितना अन्याय।
हर मंदिर में दर्शन पाँच मिनट से कम।
खूब चलता व्यापार अनेक।
भक्ति के नाम दीक्षा का व्यापार।
  आश्रम  हजारों करोडों की संपत्ति।
राजनीति के आड में बेनामी काला धनी।
स्वर्णासन हीरे जाडित स्वर्ण मुकुट।

बाह्याडंबर  की चरम सीमा।
भिखारियों की भीड, चराए बच्चों को
अंधा - लूला- लंगडा बनाकर
जान बूझकर  भीख| देना कितना पाप।
बद्माश  जबर्दस्त वसूल,
विघ्नेशवर की मूर्ति बनाकर
करते मूर्ति का अपमान।
करोडों के रुपये , भगवान का अपमान।
उन रुपयों को गरीबों  में खर्चकरें तो
स्लम रहित , झोंपडी रहित भारतीय नगर ।
सोचो, समझो, आगे  रचनातमक काम करो। ॒

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