स्वरग नरक अलग नहीं सब इस लोक में।
राम भी अधिक रोये। कृष्ण भी कष्ट झेले।
राम भी अधिक रोये। कृष्ण भी कष्ट झेले।
निराला की कहानी नरक तुल्य ।
प्रेम चंद व्यक्तिगत कष्ट जो भोगते
मानसिक दुख जो भोगते
नींद नहीं अाती खाना पचता नहीं।
रोग पीडित बुढापे में अनाथ
दरिद्रता दुख अमीरी आतंक
नामी अ भिनेता आराम से बाजार नहीं घूम सकता।
अमीरी बीमारी ।विधुर विधवा
सोचो समझो नरक नहीं और कहीं
नरक - स्वर्ग तो भूलोक में ही
प्रेम चंद व्यक्तिगत कष्ट जो भोगते
मानसिक दुख जो भोगते
नींद नहीं अाती खाना पचता नहीं।
रोग पीडित बुढापे में अनाथ
दरिद्रता दुख अमीरी आतंक
नामी अ भिनेता आराम से बाजार नहीं घूम सकता।
अमीरी बीमारी ।विधुर विधवा
सोचो समझो नरक नहीं और कहीं
नरक - स्वर्ग तो भूलोक में ही
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