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Saturday, June 25, 2016

पोशाक

पोशाक हमारेपूर्वजों ने हर जगह जलवायु के अनुसार ही बनायी है.

ऊनी ,सूती. ढीले कपडे. हवादार. आज कपडे अंग प्रदर्शन चिपकी पोशाक.

कहते हैं नियंत्रण-संयम की बात. अश्लीली फ़िल्म.अंतर्जाल की माया


एकअर्द्ध या पूरे नग्न दर्शक लाख; माया से बचना कितना संभव.


रूपवती शत्रु , अतिरूपवती सीता पति राम के दुःखके कारण;


अंगप्रदर्शनी पोशाक युवकों का आकर्षण


जानती बहनें आजकल बेचारे युवकों को छेड़ने लगती. 


प्यार महल ताजमहल, मुमताज के असली पति की हत्या;


शाहजहाँ कितना क्रूर ,वह तोअपनी बेटी प्रेयसी कोजिन्दा उबालते पानी में दाल


मार डाला. महल तो सुन्दर, वह तो प्रेमकी निशानी नहीं, 


हत्या कामहल; असलियत छिपा बोल रहे हैं प्रेम की निशानी.


जितना अन्याय सबको छिपाना--कबीर ने कहा--माया महा ठगनी.


पोशाक सही नहीं तो वैसी लड़कियों को समाज अति कुदृष्टि से देखेगी भारत में.


ईश्वर ने ऐसेही बनाया है; इंद्राको बद नाम ,चन्द्रको बदनाम. रावण को बदनाम;


सोचो; समझो ,


आगे पोशाक शरीर ढकने ,

 न चिपक दर्शन.

जरा सोचो . अपने को भद्र बनालो.

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